उत्तर प्रदेश में भारी बारिश-आंधी: आगरा-वाराणसी सहित 40 जिलों के लिए IMD अलर्ट

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40 जिलों में तेज बारिश और बिजली गिरने का खतरा

उत्तर प्रदेश के 40 जिलों के लिए भारतीय मौसम विभाग ने तेज बारिश, आंधी-तूफान और बिजली गिरने की चेतावनी जारी की है। आगरा और वाराणसी जैसे बड़े शहरों के साथ पश्चिम, मध्य और पूर्वी यूपी के कई इलाकों में अगले 24 घंटों तक भारी से बहुत भारी बारिश के आसार हैं, उसके बाद तीव्रता घटने की संभावना है। लोगों से अपील है कि जब तक जरूरी न हो, बाहर निकलने से बचें और मौसम अपडेट पर नजर रखें।

अगस्त में राज्य का औसत तापमान 28 से 34 डिग्री सेल्सियस के बीच चल रहा है, इसलिए उमस और पसीना आपको थका सकता है। लखनऊ में फिलहाल आसमान बादलों से ढका है और अधिकतम तापमान करीब 32°C, न्यूनतम 26°C के आसपास दर्ज हो रहा है। बिजली कड़कने के साथ बौछारें पड़ने की स्थिति बनी हुई है, ऐसे में खुले मैदान, ऊंचे पेड़ या धातु की चीजों के पास खड़े होने से बचना बेहतर है।

प्री-फोरकास्ट संकेत देते हैं कि अगस्त में 8 से 15 दिनों तक बारिश मिल सकती है। इसका मतलब है कि छाता, रेनकोट और वाटरप्रूफ जूते रोजमर्रा की जरूरत बनेंगे। शहरों में जलभराव का जोखिम बढ़ेगा, खासकर निचले इलाकों, अंडरपास और बाजारों में। रात के वक्त होने वाली भारी बारिश सुबह के यातायात पर असर डाल सकती है, इसलिए सुबह की यात्रा से पहले सड़क हालात की जानकारी ले लें।

यह पैटर्न सिर्फ यूपी तक सीमित नहीं है। उत्तराखंड में भी तेज बारिश की चेतावनियां जारी हैं, और उत्तरी मैदानों में सक्रिय मानसून धाराएं लगातार नमी खींच रही हैं। मौसम मॉडल बताते हैं कि इस समय बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से आने वाली नमी, साथ में सक्रिय ट्रफ लाइन, उत्तर भारत में बादल बनने और जोरदार बरसात को सपोर्ट कर रही है।

कृषि पर असर मिला-जुला रहेगा। धान और गन्ने के लिए पानी फायदेमंद है, लेकिन बहुत तेज बरसात से खेतों में पानी भरने, पौध गिरने और फफूंद रोगों का खतरा बढ़ जाता है। किसान भाई-बहन खेतों में पानी की निकासी का इंतजाम रखें, केले-जैसी फसलों को सहारा दें और गरज-चमक के दौरान कीटनाशी या घोल छिड़काव से बचें।

शहरी इलाकों में भारी स्पेल के दौरान ट्रैफिक धीमा होगा, कई जगह डायवर्जन या देरी संभव है। रेल और हवाई सेवाओं पर असर पड़ सकता है, इसलिए यात्रा से पहले स्टेटस चेक करें। तेज हवाओं और बिजली गिरने के कारण बिजली सप्लाई बाधित होना भी सामान्य है; टॉर्च, पावर बैंक और जरूरी दवाइयों का स्टॉक पहले से रख लें।

जिला प्रशासन ने जोखिम वाले पॉकेट्स में पंपिंग सेट, नियंत्रण कक्ष और राहत टीमें अलर्ट मोड पर रखी हैं। किसी भी आपदा की स्थिति में 112 या राज्य आपदा हेल्पलाइन 1070 पर मदद मांगी जा सकती है। गलत खबरों से बचें और सिर्फ आधिकारिक अपडेट को मानें; सोशल मीडिया फॉरवर्ड्स पर भरोसा करने से पहले सत्यापित करें।

सुरक्षा गाइड: घर से लेकर खेत तक क्या करें

सुरक्षा गाइड: घर से लेकर खेत तक क्या करें

  • बिजली गिरने के दौरान सुरक्षित जगह: घर या पक्की बिल्डिंग के अंदर रहें। खुले मैदान, नदी-तालाब के किनारे, छत, टिन शेड और ऊंचे पेड़ों से दूर रहें। मोबाइल चार्जिंग पर लगा हो तो निकाल दें; धातु की रेलिंग, हैंडपंप, बाइक या साइकिल को न छुएं।
  • ड्राइविंग टिप्स: भारी बारिश में स्पीड कम रखें, हेडलाइट-फॉग लाइट ऑन करें और अचानक ब्रेक से बचें। पानी भरे अंडरपास या नालों को पार करने की कोशिश न करें। गाड़ी बंद हो जाए तो तुरंत बाहर निकलकर सुरक्षित ऊंची जगह जाएं।
  • घर में सावधानियां: ढीले बिजली के तार ठीक कराएं, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को सर्ज प्रोटेक्टर से जोड़ें। बालकनी और छत की निकासी साफ रखें ताकि पानी जमा न हो।
  • स्कूल और बच्चों के लिए: आंधी-तूफान के समय आउटडोर स्पोर्ट्स रोक दें। स्कूल बस स्टॉप पर शेड के नीचे भीड़ न लगाएं; बिजली-तूफान में पेड़ों के नीचे खड़े होने से बचें।
  • किसानों के लिए: बोये हुए खेत में पानी 2-3 इंच से ज्यादा भरने न दें; नालियां खोलें। तेज हवा की आशंका हो तो सब्जियों में ट्रेलिसिंग और केले में सहारा दें। दवा छिड़काव गरज-चमक के समय न करें।
  • स्वास्थ्य: उमस में डिहाइड्रेशन जल्दी होता है, पानी और ओआरएस का सेवन बढ़ाएं। जलभराव से डेंगू-मलेरिया का खतरा बढ़ता है; घर के आसपास जमा पानी हटाएं और कूलर-टंकी ढंककर रखें।
  • इमरजेंसी किट: टॉर्च, बैटरी, पावर बैंक, फर्स्ट-एड, जरूरी दस्तावेज प्लास्टिक कवर में, सूखा खाद्यान्न और दवाइयां अलग बैग में रखें। पशुओं के लिए चारे और शेड का इंतजाम करें।
  • घाट और नदी किनारे: बरसात में पथरीले घाट फिसलन भरे हो जाते हैं। तेज बहाव के दौरान नदी में उतरने या सेल्फी लेने से बचें।

मौसम विभाग का कहना है कि अगले 24 घंटों के बाद बारिश की तीव्रता कुछ कम हो सकती है, लेकिन रुक-रुक कर बौछारें पूरे हफ्ते परेशान कर सकती हैं। सुबह के समय उमस और दोपहर-शाम को तेज स्पेल आम पैटर्न है, हालांकि हर जिले में परिस्थितियां अलग हो सकती हैं। इसलिए आधिकारिक अपडेट पर भरोसा रखें और इस समय जारी IMD अलर्ट को गंभीरता से लें।

लखनऊ, आगरा, वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर और आसपास के शहरों में बारिश के बीच बिजली गिरने के मामले बढ़ सकते हैं, इसलिए भीड़भाड़ वाले खुले स्थानों से दूरी बनाए रखें। निचले इलाकों में रहने वाले लोग पहले से वैकल्पिक पार्किंग और सुरक्षित पहुंच मार्ग तय कर लें। अगर घर कच्चा है या दीवारें नम हैं तो दीवार से चिपककर खड़े न हों और पानी रिसाव दिखे तो तुरंत मदद बुलाएं।

द्वारा लिखित Shiva Parikipandla

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूं और रोज़ाना भारत से संबंधित समाचार विषयों पर लिखना पसंद करती हूं। मेरा उद्देश्य लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है।

Kulraj Pooni

ये बारिश तो हर साल होती है, पर हमारी सरकार हर साल नया अलर्ट निकालती है... जब तक ड्रेनेज सिस्टम ठीक नहीं होगा, तब तक ये चक्र चलता रहेगा। लोग बस फोन चला रहे हैं, जबकि बारिश के बाद गलियों में पानी खड़ा है। इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करो तो शून्य।

Hemant Saini

मैंने अपने गांव में देखा है कि जब बारिश होती है, तो लोग अपने घरों के आसपास नालियां खोल देते हैं, और बच्चे नालियों में नाव बनाकर खेलते हैं। ये बारिश बस एक बाधा नहीं, बल्कि जीवन का हिस्सा है। हमें सिर्फ उसके साथ जीना सीखना है, उसके खिलाफ लड़ना नहीं। जब तक हम इसे दुश्मन नहीं समझेंगे, तब तक हम इससे सीख नहीं पाएंगे।

Nabamita Das

अगर आपको लगता है कि बारिश के बाद जलभराव अचानक हो गया, तो आपने कभी शहरी नियोजन के बारे में पढ़ा नहीं। लखनऊ में 2018 से लेकर अब तक, ड्रेनेज के लिए बजट घटता गया है। बारिश का दोष नहीं, नीति का दोष है। अगर आपके घर के बाहर नाली बंद है, तो आपको नगर निगम को शिकायत करनी चाहिए, न कि बस बारिश को गाली देना। और हां, बिजली गिरने पर मोबाइल चार्ज निकालना बेहद जरूरी है - ये बात किसी ने नहीं कही थी?

chirag chhatbar

yrr ye sab kuchh toh pahle se pata tha... phir bhi log bahar nikal rhe hain... bhaiya, yeh koi natural disaster nahi hai, yeh toh hamari galti hai... kya karte ho tum log? kuchh nahi karte... bas whatsapp pe forward karte ho aur phir bolo 'kya baat hai'... sad.

Aman Sharma

IMD का अलर्ट? ये तो बस एक फॉर्मलिटी है। क्या आपने कभी सोचा है कि जब तक आप एक अधिकारी के लिए बारिश को एक रिपोर्ट नहीं बना देते, तब तक वो उसे वास्तविक नहीं मानता? हमारी संस्कृति में खतरे को तब तक नहीं माना जाता जब तक कि इसका एक फॉर्म नहीं भर दिया जाता। इसलिए हम लोग बारिश के बाद भी बाहर निकलते हैं - क्योंकि अलर्ट तो बस एक डॉक्यूमेंट है, जीवन नहीं।