क्या आपने कभी सोचा है कि कॉलेज या नौकरी में सीटें क्यों बाँट दी जाती हैं? वही कारण है कोटा सिस्टम. यह एक ऐसा नियम है जो विभिन्न समूहों को समान अवसर देने के लिए बनता है। सरल शब्दों में, कुल उपलब्ध स्थान को कई हिस्सों में बांटा जाता है और हर हिस्से को अलग‑अलग मानदंड पर तय किया जाता है।
कोटा सिस्टम सिर्फ शैक्षणिक संस्थानों में नहीं, बल्कि सरकारी नौकरियों, आवास योजनाओं और यहाँ तक कि खेल टीमों के चयन में भी दिखता है। तो चलिए जानते हैं इसके मुख्य पहलू.
कोटा का मूल सिद्धांत
मुख्य बात यह है कि कोटा एक प्रतिशत या संख्या निर्धारित करता है, जैसे 30% स्थान स्थानीय उम्मीदवारों के लिए रखे जाते हैं, जबकि बाकी 70% ओपन कैटेगोरी के। इससे किसी भी विशेष वर्ग को पूरी तरह बाहर नहीं किया जाता, बल्कि उनके पास निश्चित भागीदारी रहती है।
उदाहरण के तौर पर, अगर कोई इंजीनियरिंग कॉलेज कुल 100 सीटें देता है और 20% का कोटा ग्रामीण छात्रों के लिए रखता है, तो कम से कम 20 सीटें केवल ग्रामीण अभ्यर्थियों को मिलेंगी। बाकी 80 सीटों में सभी पात्र उम्मीदवार मुकाबला करेंगे।
कोटा के लाभ और चुनौतियां
फायदे की बात करें तो यह सामाजिक असमानता घटाने में मदद करता है। पिछड़े वर्ग, महिलाओं या विशेष क्षेत्रों से आए छात्रों को मौका मिलता है, जिससे विविधता बढ़ती है। कंपनियों में भी कोटा अपनाने से टीमों में विभिन्न दृष्टिकोण आते हैं और कार्यस्थल अधिक संतुलित बनता है।
लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। कभी‑कभी कोटा के कारण योग्य उम्मीदवार पीछे रह जाते हैं, जिससे प्रतिभा का नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, अगर कोटा लागू करने की प्रक्रिया साफ़ न हो तो भ्रष्टाचार या गलतफहमी पैदा हो सकती है। इसलिए हर संस्थान को अपने कोटा नियमों को पारदर्शी रखना चाहिए और नियमित रूप से समीक्षा करनी चाहिए।
आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण टिप क्या है? हमेशा उस कोटा का विवरण पढ़ें जिससे आप अप्लाई कर रहे हैं। पात्रता, डॉक्यूमेंटेशन और अंतिम तिथि जैसी बातें नोट कर लें। अगर कोई शंका हो तो संस्थान की सहायता सेवा या आधिकारिक वेबसाइट पर संपर्क करें – यह आपके समय और प्रयास दोनों बचाएगा।
समझदारी से कोटा सिस्टम का उपयोग करके आप अपनी शिक्षा या कैरियर में सही कदम रख सकते हैं। याद रखें, कोटा बाधा नहीं, अवसर है – बस सही जानकारी और तैयारियों के साथ आगे बढ़ें।
बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में कोटा सिस्टम की बहाली को लेकर छात्र हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के परिसर युद्धक्षेत्र में तब्दील हो गए हैं, जहां सैकड़ों छात्र घायल हो गए हैं। पुलिस पर आंसू गैस और रबर की गोलियों का इस्तेमाल करने का आरोप है। इस विवाद ने पूरे देश को प्रभावित किया है।