ईवीकेएस इलांगोवन का निधन: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री का 75 वर्ष की आयु में निधन

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तमिलनाडु के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ईवीकेएस इलांगोवन का शनिवार, 14 दिसंबर 2024 को चेन्नई के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे। पिछले कुछ समय से उनकी तबियत ठीक नहीं थी, जिसके चलते उन्हें 11 नवंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी मृत्यु की खबर से राज्य के राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर दौड़ गई है।

इलांगोवन का राजनीतिक सफर

ईवीकेएस इलांगोवन का जन्म 21 दिसंबर 1948 को तामिलनाडु के गोबिचेट्टीपलायम में हुआ था। वे एक राजनैतिक परिवार से संबंध रखते थे जहां उनके पिता संपथ द्रविड़ीय आंदोलन के सदस्य थे। इलांगोवन ने अपने करियर की शुरुआत 1980 के दशक में की और 1984 में सथ्यामंगलम विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए। उनके पूरे करियर में एक से बढ़कर एक प्रमुख पदों पर सेवा का अवसर मिला, जिनमें केंद्रीय पेट्रोलियम राज्य मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री और वस्त्र राज्यमंत्री शामिल हैं।

महान नेताओं के साए में

महान नेताओं के साए में

ईवीकेएस इलांगोवन को राजनीतिक मार्गदर्शन उनके परिवार से मिला। उनके पिता और माता दोनों ही प्रमुख राजनीतिक हस्तियों में गिने जाते थे। उनका परिवार लंबे समय से विभिन्न राजनैतिक आंदोलनों से जुड़ा रहा है, और उनकी राजनीतिक यात्रा में परिवार का गहरा असर दिखता है।

परिवार और पार्टी की धरोहर

परिवार और पार्टी की धरोहर

तमिलनाडु कांग्रेस समुदाय में इलांगोवन को बड़े सम्मान के साथ "तन्मना थलाइवर" के नाम से जाना जाता था। वे एक स्वतंत्र विचारक और कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा स्रोत थे। उनके जाने से ना केवल कांग्रेस पार्टी बल्कि पूरे राज्य को एक बड़ा धक्का पहुंचा है। तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के सेल्वापेरूंथगई ने उनके निधन को "एक बड़ी क्षति" के रूप में बताया है।

इलांगोवन की विरासत

इलांगोवन की विरासत

केंद्रीय राजनीति में भी इलांगोवन का बड़ा योगदान रहा। उन्होंने सेवा के दौरान कई नीतिगत परिवर्तन किए, जिनमें से एक प्रसिद्ध निर्णय 'सेन्वाट' का उन्मूलन था। हाल ही में, उन्होंने दो संसदीय चुनावों में भी हिस्सा लिया था, हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली। लेकिन उनकी राजनीतिक सोच और योगदान को सदैव याद किया जाएगा।

इलांगोवन के निधन ने उनके परिवार, दोस्तों और अनुयायियों में शोक की भावना जगाई है। इस कठिन समय में उनके परिवार और कांग्रेस पार्टी के प्रति सहानुभूति प्रकट की जा रही है। ईवीकेएस इलांगोवन का नाम एक ऐसे नेता के रूप में याद किया जाएगा जिन्होंने अपने निर्णयों से राज्य एवं देश के हित में अनेक कार्य किए। उनकी विरासत आगामी समय में भी प्रेरणा देती रहेगी।

द्वारा लिखित Shiva Parikipandla

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूं और रोज़ाना भारत से संबंधित समाचार विषयों पर लिखना पसंद करती हूं। मेरा उद्देश्य लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है।

Dev pitta

ईवीकेएस जी जैसे लोग आज बहुत कम मिलते हैं। बिना शोर किए, बिना मीडिया के लिए नाटक किए, बस काम करते रहते थे। उनकी शांत उपस्थिति ने बहुत कुछ सिखाया।

praful akbari

उनके पिता का द्रविड़ आंदोलन से जुड़ाव और फिर बेटे का कांग्रेस में रास्ता-ये सिर्फ परिवार की विरासत नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय राजनीति की कहानी है।

kannagi kalai

उन्होंने सेन्वाट को हटाया था, ये बात बहुत कम लोग जानते हैं। इसका असर आज भी दिखता है।

Roy Roper

कांग्रेस में ऐसे लोग बचे ही नहीं अब। बस नाम बदलकर बैठे हैं।

Sandesh Gawade

अगर हमारे सभी नेता इलांगोवन जी जैसे होते तो आज भारत अलग होता। उनकी नीतियाँ बस लिखी नहीं गईं, बल्कि जी गईं।

MANOJ PAWAR

मैंने उन्हें एक बार सुना था चेन्नई में-कोई नहीं जानता था कि वो आए हैं। फिर भी लोग घूमकर आए। ऐसा वजूद ही असली नेतृत्व है।

Pooja Tyagi

इलांगोवन जी का नाम तो बहुत सुना है, पर इतनी गहराई से जानने का मौका नहीं मिला था! इस लेख ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। धन्यवाद।

Kulraj Pooni

लोग कहते हैं राजनीति बदल गई, पर असली बदलाव तो तब होता है जब नेता खुद बदल जाएँ। इलांगोवन जी ने बदलाव को जीकर दिखाया।

Hemant Saini

उनकी शांति और अडिगता को देखकर लगता है कि आज के राजनेता तो सिर्फ ट्वीट कर रहे हैं, वो नहीं जो बात करते हैं।

Nabamita Das

कांग्रेस के अंदर अब ऐसे लोग नहीं बचे। उनकी जगह फेसबुक एड्स और टीवी बातचीत ले ली।

chirag chhatbar

वो तो बस बोलते थे और चले जाते थे... अब तो लोग बोलते हैं और फिर भी वो वाला वाला करते हैं।

Aman Sharma

तो फिर ये लोग क्यों बचे? क्योंकि वो अपने आप को नहीं बेचते थे। आज के नेता तो अपनी आत्मा भी ऑनलाइन बेच देते हैं।

sunil kumar

इलांगोवन जी की विरासत को बरकरार रखने के लिए हमें एक नया नेतृत्व ढूंढना होगा-जो नीति-केंद्रित हो, जो व्यवस्था-केंद्रित हो, जो सामाजिक-आर्थिक न्याय के लिए संघर्ष करे। ये बस याद नहीं, ये अभियान है।