प्रदीप रंगनाथन की 'ड्रैगन' फिल्म का रिव्यू: उत्तरार्द्ध में उड़ान भरती कहानी

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फिल्म की कहानी और उसके विषय

फिल्म 'ड्रैगन' का निर्देशन आश्वथ मारीमुथु ने किया है और यह प्रदीप रंगनाथन को मुख्य भूमिका में प्रस्तुत करती है। कहानी राघवन नामक एक कॉलेज ड्रॉपआउट के इर्द-गिर्द घुमती है, जो उच्च वेतन वाली आईटी नौकरी पाने के लिए नकली डिग्री का सहारा लेता है। जब उसकी प्रेमिका कीर्ति (अनुपमा परमेस्वरन) उसे अस्वीकार कर देती है, तो वह एक विद्रोही व्यक्तित्व अपना लेता है।

फिल्म की शुरुआत थोड़ी धीमी रहती है, लेकिन इंटरवल के बाद कहानी में मजबूती और गहराई आ जाती है। प्रमुख मोड़ तब आता है जब राघवन के कॉलेज के प्रिंसिपल (मायस्किन) उसे डिग्री पूरा करने के लिए मजबूर करते हैं और उसकी धोखाधड़ी उजागर करने की धमकी देते हैं। इस पल से फिल्म में एक नई ऊर्जा आ जाती है।

कलाकारों का प्रदर्शन और फिल्म की विशेषताएं

कलाकारों का प्रदर्शन और फिल्म की विशेषताएं

फिल्म में केयाडू लोहाड़ ने उसकी मंगेतर का और गौतम मेनन ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अलावा, भावुक क्षण तब आते हैं जब राघवन की मुलाकात एक गरीब छात्र से होती है, जिससे फिल्म का स्वर और भी गमगीन हो जाता है। प्रिंसिपल के रूप में मायस्किन का सख्त अभिनय फिल्म की जान बन जाता है।

जबकि प्रारंभिक भाग गति की कमी से जूझता है, दूसरे भाग में कॉमेडी और ड्रामा का उत्कृष्ट संतुलन है। फिल्म सत्यनिष्ठा और संघर्ष के संदेश पर समाप्त होती है। क्लाइमेक्स की इमोशनल गहराई दर्शकों को बांधे रखती है और फिल्म को एक संतोषजनक निष्कर्ष तक पहुंचाती है।

द्वारा लिखित Shiva Parikipandla

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूं और रोज़ाना भारत से संबंधित समाचार विषयों पर लिखना पसंद करती हूं। मेरा उद्देश्य लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है।

Anuj Poudel

ये फिल्म तो बिल्कुल एक आधुनिक भारतीय युवा की आत्मकथा है। ड्रॉपआउट होने के बाद भी जो लोग अपनी पहचान बनाने की कोशिश करते हैं, उनकी लड़ाई बहुत असली लगी। राघवन का ट्रांसफॉर्मेशन बिल्कुल बारिश के बाद का फूल की तरह है-धीरे-धीरे, लेकिन गहराई से।

Aishwarya George

मैंने इस फिल्म को देखने के बाद अपने बच्चे को बताया कि डिग्री से ज्यादा जरूरी है इंसानियत। क्लाइमेक्स में जब राघवन ने अपनी गलती स्वीकार की, तो मेरी आंखें भर आईं। ये फिल्म केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक शिक्षा है।

Vikky Kumar

फिल्म का प्रथम आधा भाग अत्यधिक अक्षम और अत्यंत धीमा है। निर्माता ने जानबूझकर दर्शकों को थका दिया है, ताकि दूसरे भाग में उनकी भावनाएँ अधिक आसानी से नियंत्रित हो सकें। यह एक गणितीय रूप से डिज़ाइन किया गया मनोवैज्ञानिक तंत्र है।

manivannan R

bro, principal ka role toh pure movie ka game changer tha. ये guy बिल्कुल real life ke college heads jaisa tha-sabko darate the, par koi unki baat nahi maanta. और राघवन का arc? pure 10/10. अब तक की सबसे real फिल्म जो मैंने देखी है।

Uday Rau

इस फिल्म में भारतीय युवाओं की वही अंतर्द्वंद्व दिखी जो हम सब जीते हैं-परिवार की उम्मीदें, समाज का दबाव, और अपने दिल की आवाज़। जब राघवन गरीब छात्र को देखता है, तो वह अपने आप को देखता है। ये फिल्म बस एक कहानी नहीं, एक आईना है।

sonu verma

मैंने इसे देखकर अपने कॉलेज के दिनों के बारे में सोच लिया... कितने लोग ऐसे ही हैं जो डिग्री के नाम पर खुद को बेच देते हैं। लेकिन अंत में जब वो सच बोलता है, तो लगता है जैसे सारा बोझ उतर गया।

Siddharth Varma

kya baat hai yaar, interval ke baad toh pura movie hi change ho gaya! maine socha tha yeh bhi ek aur fake success story hogi, lekin nahi... yeh toh real life ka mirror hai.

chayan segupta

ये फिल्म देखकर लगा जैसे किसी ने मेरे दिल की बात कह दी! बहुत बढ़िया बनाया है। अगली बार जब कोई कहे कि फिल्में बोरिंग हैं, तो मैं ये फिल्म उन्हें दिखाऊंगा।

King Singh

राघवन की जिंदगी बहुत साधारण लगी, लेकिन उसके फैसले बहुत बड़े थे। ये फिल्म बताती है कि असली सफलता डिग्री नहीं, बल्कि खुद पर भरोसा करना है।

Dev pitta

फिल्म का अंत बहुत सुंदर था। जब वो अपनी गलती स्वीकार करता है, तो उसकी आवाज़ में एक शांति है। इस दुनिया में कितने लोग ऐसा कर पाते हैं?

praful akbari

हम सब राघवन हैं। केवल अंतर यह है कि हम अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करते।

kannagi kalai

थोड़ा धीमा शुरू हुआ, लेकिन अंत अच्छा था। अच्छी फिल्म।

Roy Roper

फिल्म बहुत ज्यादा लंबी थी और बहुत ज्यादा भावुक थी। बस एक बात-ड्रैगन का कोई मतलब नहीं था।

Sandesh Gawade

ये फिल्म ने मुझे जगा दिया। अगर तुम अपनी जिंदगी में झूठ बोल रहे हो, तो ये फिल्म तुम्हारे लिए है। अब जाओ और सच बोलो।

MANOJ PAWAR

जब राघवन ने अपने प्रिंसिपल के सामने अपनी आत्मकथा सुनाई, तो मैंने खुद को उसकी जगह पर महसूस किया। ये फिल्म ने मेरे अंदर के डर को छू लिया। धन्यवाद।

Pooja Tyagi

मैंने इसे देखा, और अब मैं बहुत गुस्सा हूँ! क्योंकि ये फिल्म ने मुझे बताया कि मैं भी एक राघवन हूँ! और मैंने अभी तक अपनी गलती स्वीकार नहीं की! अब मैं जाकर सच बोलूंगी! 🙌💔