राजस्थान की कृषि विश्वविद्यालयों में वीसी हटाए, नए नियुक्तियों पर उलटफेर
राजस्थान में कृषि विश्वविद्यालयों के वीसी हटाए और नई नियुक्तियों से छात्रों में उलझन, डॉ. अरुण कुमार की पुनः नियुक्ति के बाद प्रशासनिक अस्थिरता बढ़ी।
जारी रखें पढ़ रहे हैं...जब बात स्वामी केशवानंद राजस्थान एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, राज्य के प्रमुख कृषि शिक्षा संस्थानों में से एक है जो वैज्ञानिक खेती, ग्रामीण विकास और नवाचार पर केंद्रित है, Also known as राजस्थान एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की होती है, तो इसकी भूमिका सिर्फ पढ़ाई तक ही नहीं रह जाती। यह यूनीवर्सिटी कृषि, खेतों की उपज बढ़ाने, जल संरक्षण और बीज सुधार पर काम करने वाला सेक्टर से जुड़ी कई पहल चलाती है और अनुसंधान, नयी तकनीक, फसल रोगनिवारण और जलवायु‑स्मार्ट खेती पर वैज्ञानिक अध्ययन को प्रोत्साहन देती है।
यूनिवर्सिटी के पास कई अनुसंधान केंद्र हैं जो कृषि विज्ञान को व्यावहारिक रूप में बदलते हैं। उदाहरण के तौर पर, जल‑संकट वाले क्षेत्रों में सूखा‑सहिष्णु फसल की प्रजातियों का विकास, और किसानों को मुफ्त में नई बीजें और तकनीकी सलाह देना। इन प्रयासों का सीधे असर राजस्थान के छोटे‑बड़े किसानों की आय में दिखता है। इसी तरह, विश्वविद्यालय की स्मार्ट फार्मिंग, ड्रोन, सेंसर और IoT के ज़रिये फसल स्वास्थ्य की रीयल‑टाइम मॉनिटरिंग पहल ने कई गांवों में उत्पादन लागत घटाई और पैदावार बढ़ाई है।
इन सभी कार्यों में राजस्थान सरकार, राज्य स्तर की नीति‑निर्माता संस्था जो कृषि योजनाओं का निर्देशन करती है का सहयोग अहम है। सरकार द्वारा वित्तीय अनुदान, छात्रवृत्ति और किसान प्रशिक्षण कार्यक्रमों के साथ विश्वविद्यालय की क्षमताएँ और बढ़ी हैं। यह सहयोग विश्वविद्यालय + सरकार = फसल में सुधार जैसी त्रिकोणी संरचना बनाता है, जहाँ हर घटक दूसरे को सशक्त बनाता है।
साथ ही, विद्यार्थी, कृषि विज्ञान, खाद्य तकनीक, वनस्पति विज्ञान में स्नातक और स्नातकोत्तर करने वाले युवा इस प्रक्रिया के मुख्य प्रेरक हैं। उन्होंने कई स्टार्ट‑अप शुरू किए हैं, जैसे की जैविक कीटनाशक उत्पादन, और स्थानीय बाजारों में सीधे किसानों को उत्पादन बेचने का प्लेटफ़ॉर्म बनायाँ है। इस तरह की पहलें न केवल रोजगार देती हैं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गति देती हैं।
पिछले साल विश्वविद्यालय ने एक राष्ट्रीय स्तर की कृषि एक्सपो आयोजित की, जहाँ 150 से अधिक शोधकर्ताओं और 2000 किसानों ने भाग लिया। इस इवेंट ने नई तकनीकों को जमीन पर आज़माने का मौका दिया और कई किसानों को उन्नत बीजों की जरूरत के बारे में जागरूक किया। एक्सपो के बाद सर्वे में 85% किसानों ने कहा कि उन्होंने नई विधियों से 10‑15% अधिक उपज पाई। यही आँकड़े यह दिखाते हैं कि विश्वविद्यालय की हर पहल का ठोस परिणाम है।
अगर बात की जाये यूपीएससी, एग्रिकॉल्चर या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की, तो स्वामी केशवानंद विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर और शोधकर्ता अक्सर प्रश्नपत्र तैयार करने में मदद करते हैं। उनका योगदान छात्रों को कृषि‑सम्बंधी नवीनतम तथ्य और आंकड़े सीखने में मदद करता है, जिससे वे परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं। यह कड़ी विश्वविद्यालय‑शिक्षा‑परीक्षा का सुंदर मिश्रण बनाती है।
इन सभी बिंदुओं को देखते हुए यह स्पष्ट है कि स्वामी केशवानंद राजस्थान एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, राज्य की अग्रणी कृषि शिक्षा संस्थान ने कृषि क्षेत्र में कई बदलाव लाए हैं। चाहे वह शोध हो, छात्र की सफलता हो या किसान की आय में वृद्धि, हर पहल एक दूसरे को सुदृढ़ करती है। अब नीचे आपको इस यूनिवर्सिटी से जुड़ी विभिन्न खबरें, कार्यक्रम रिपोर्ट और विशेषज्ञ राय का समुच्चय मिलेगा, जो आपके लिए उपयोगी जानकारी का खजाना साबित होगा।
राजस्थान में कृषि विश्वविद्यालयों के वीसी हटाए और नई नियुक्तियों से छात्रों में उलझन, डॉ. अरुण कुमार की पुनः नियुक्ति के बाद प्रशासनिक अस्थिरता बढ़ी।
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