मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण पांच की मौत, तनाव की आग में झुलसता पूर्वोत्तर भारत

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मणिपुर में जातीय हिंसा: एक गहरा संकट

मणिपुर राज्य में जातीय हिंसा का दौर एक बार फिर लौट आया है, जिसमें कम से कम पांच लोगों की जान चली गई है। यह हिंसा पूर्वोत्तर भारत के इस राज्य में एक गहरे संकट की स्थिति को उजागर करती है, जहां बीच-बीच में तनाव भड़क उठता है। मेइती और कुकी के अद्वितीय समुदाय एक बार फिर एक-दूसरे के आमने-सामने हैं।

दरअसल, मेइती समुदाय मुख्यतः हिंदू और कुकी समुदाय मुख्यतः ईसाई हैं। इन दोनों समुदायों के बीच पिछले कई सालों से तनाव बना हुआ है, जो समय-समय पर हिंसक रूप ले लेता है। इस बार का संघर्ष भी उल्लेखनीय है, क्योंकि यह खिलाफ़त आर्थिक लाभ, सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण जैसे मुद्दों को लेकर बढ़ा है।

उत्तरदायी घटनाएं

कुछ दिन पहले, अदालत का एक फैसला आया जिसने मेइती समुदाय को कुछ विशेष लाभ दिए, जो पहले कुकी समुदाय को ही मिलते थे। इस फैसले ने कुकी समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया और नतीजन हिंसा भड़क गई। शनिवार को, ताजगी किए गए झड़पें जिरीबाम जिले में हुई, जो मणिपुर और म्यांमार की सीमा पर स्थित है। इससे पहले, क्रिश्ना कुमार, जो जिरीबाम के डिप्टी कमिश्नर हैं, ने बताया कि यह झड़पें सुबह-सुबह शुरू हुईं।

सूत्रों के अनुसार हिंसा के दौरान, एक नागरिक को सोते वक्त गोली मार दी गई। इसके बाद चार सशस्त्र व्यक्तियों की मौत हो गई जो दोनों ही पक्षों के थे। पुलिस ने जब हस्तक्षेप किया, तो वे भी कुकी आतंकियों के निशाने पर आ गए। उलट, पुलिस की जवाबी कार्रवाई से इन हमलावरों को पीछे हटना पड़ा।

सुरक्षा की तनावपूर्ण स्थिति

मई 2023 से, मणिपुर राज्य में गंभीर रूप से बँटवारा है, जिसमें मेइती समुदाय को वादी क्षेत्रों का प्रभुत्व है और कुकी समुदाय का नियंत्रण पहाड़ी इलाकों पर है। इन दोनों क्षेत्रों के बीच एक नो-मैन्स लैंड है, जिसे केंद्रीय अर्धसैनिक बलों द्वारा सुरक्षित किया गया है। उक्त स्थिति ने राज्य में शांति व्यवस्था को चुनौती दी है और इसकी वजह से राज्य की सरकार ने सभी स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है।

ड्रॉन हमले और बढ़ता खतरा

अपनी तरह की खतरनाक और नई घटनाओं में ड्रोन से विस्फोटक उपकरण गिराए जाने की वारदातें भी शामिल हैं। इन उपकरणों को 'इम्प्रोवाइज्ड प्रोजेक्टाइल्स' के नाम से जाना जाता है जोकि गैलवेनाइज्ड आयरन पाइप्स और विस्फोटक पदार्थों से बनाए गए हैं। पुलिस को शक है कि यह हमला कुकी समुदाय के हथियारबंद गुटों द्वारा किया गया है, हालांकि इस दावे को कुकी गुटों ने खारिज कर दिया है।

मानवीय संकट

मई 2023 से अब तक की हिंसा में 225 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 60,000 लोग विस्थापित हो चुके हैं। यह आंकड़ा न केवल इस संघर्ष की हिंसक प्रकृति को दर्शाता है, बल्कि मानवता के संकट को भी उजागर करता है जोकि इस संकट के कारण उत्पन्न हुआ है।

आगे की राह

आगे की राह

मणिपुर का यह संकट एक बेहद गंभीर और संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है। इसे सुलझाने के लिए शांतिप्रिय वार्ता और स्थायी समाधान की आवश्यकता है। राज्य एवं केंद्र सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे मिल-जुलकर इस समस्या का हल निकालें, ताकि भविष्य में ऐसी हिंसक वारदातें न हों और मणिपुर शांतिपूर्ण और समृद्ध राज्य के रूप में उभर सके।

द्वारा लिखित Shiva Parikipandla

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूं और रोज़ाना भारत से संबंधित समाचार विषयों पर लिखना पसंद करती हूं। मेरा उद्देश्य लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है।

sivagami priya

ये सब क्या हो रहा है? हम सब एक ही देश के हैं, फिर भी ये जाति-धर्म के नाम पर लड़ाई? बस थोड़ा इंसाफ़ करो और बैठ जाओ बातचीत के लिए। बच्चे डर गए हैं, घर जल गए हैं, और हम सब टीवी पर देख रहे हैं।

Anuj Poudel

इस संकट का मूल कारण आरक्षण नहीं, बल्कि संस्कृति की अनदेखी है। हमने दशकों से अपने अलग-अलग तरीकों को सम्मानित करने की बजाय, एक दूसरे को दबाने की कोशिश की है। अब तो बस एक साथ बैठकर बात करने की जरूरत है।

Aishwarya George

हमें यह भूलना नहीं चाहिए कि मणिपुर की जनता ने अपने इतिहास में कई बार शांति की ओर ले जाने का इरादा दिखाया है। ये हिंसा एक अस्थायी बाधा है, न कि अंतिम वास्तविकता। सरकार को अब तुरंत स्थानीय नेताओं के साथ संवाद शुरू करना चाहिए, और ड्रोन हमलों की जांच के लिए एक तटस्थ टीम बनानी चाहिए।

Vikky Kumar

ये सब बकवास है। दोनों गुटों ने अपने अपने लाभ के लिए अपने लोगों को बलिदान किया है। ये जातीय भावनाएं बस एक ढोंग हैं, जिनका उपयोग राजनीतिक लाभ के लिए किया जाता है। अगर ये लोग सच में शांति चाहते होते, तो वे अपने अपने घरों में बैठे रहते।

manivannan R

bro ये ड्रोन वाला चीज़ बहुत फिक्स है। अब तो ये आधुनिक युद्ध है। गैल्वेनाइज्ड पाइप और एक्सप्लोसिव्स से बना हुआ ये टूल बहुत स्मार्ट है। लेकिन इसका इस्तेमाल करने वाले लोगों को असली जवाबदेही देनी चाहिए। ये नहीं कि बस बोल दो कि हमने नहीं किया।

Uday Rau

मणिपुर की जमीन पर जो फूल खिलते हैं, वो न तो मेइती के हैं और न ही कुकी के। वो तो भारत के हैं। हमने अपने बीच के अंतर को रंगीन लहरों की तरह देखना बंद कर दिया है। अब तो बस एक दूसरे की आवाज़ सुनने का समय है। ये जंग नहीं, बल्कि एक संगीत होना चाहिए।

sonu verma

मैं यहां बहुत सारे लोगों को देखता हूं जो बहुत ज्यादा बात कर रहे हैं लेकिन कुछ नहीं कर रहे। अगर आपको लगता है कि ये सिर्फ़ मणिपुर का मुद्दा है, तो आप गलत हैं। ये हम सबका मुद्दा है। बस थोड़ा सा दिल लगाओ।

Siddharth Varma

kya bhai ye drone wala toh kuch new hai na? pichle 10 saal me kisi ne socha bhi nahi tha ki koi drone se bomb gira dega. ab toh army bhi confuse hai ki kaise respond kare.

chayan segupta

दोस्तों, ये सब बहुत बुरा लग रहा है। लेकिन याद रखो, अगर हम सब मिलकर एक बार गांव में जाकर एक दूसरे के साथ खाना खाएं, तो ये सब ठीक हो जाएगा। बस थोड़ा इंसाफ़ करो।

King Singh

मैं तो बस यही कहना चाहता हूं कि बच्चे बड़े हो रहे हैं, और उन्हें ये सब देखना पड़ रहा है। अगर हम आज नहीं बदले, तो कल का भारत बहुत खराब हो जाएगा।

Dev pitta

इंसान बनकर रहो। न तो मेइती हो, न कुकी। बस इंसान।

praful akbari

इतिहास दोहराता है। अगर हम अपने बीच के अंतर को नहीं समझेंगे, तो ये हिंसा एक बार फिर आएगी। और अगली बार, शायद ड्रोन नहीं, बल्कि AI भी शामिल हो जाएगा।

kannagi kalai

क्या इसका कोई हल है? या फिर हम बस इसे देखते रहेंगे?

Roy Roper

सरकार बेकार है। लोग मर रहे हैं। और तुम बातें कर रहे हो।