फराह खान की माँ मेनका ईरानी का निधन: सर्जरी के बाद नहीं बच पाईं

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फराह खान की माँ मेनका ईरानी का निधन

प्रसिद्ध फिल्म निर्माता फराह खान और साजिद खान की माँ, मेनका ईरानी का हाल ही में निधन हो गया है। 79 वर्षीय मेनका ईरानी की कुछ दिनों पहले ही कई सर्जरी हुई थीं, जिनकी रिकवरी के दौरान उनका निधन हो गया। यह खबर फिल्म उद्योग और उनके परिवार के लिए एक बड़ा दुखद समाचार है। मेनका ईरानी ने फराह और साजिद को अपने पति की मौत के बाद अकेले ही पाला था।

जन्मदिन पर साझा किया था भावुक पोस्ट

फराह खान ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कुछ दिन पहले ही अपनी माँ के जन्मदिन के अवसर पर एक बहुत ही दिल छूने वाला पोस्ट साझा किया था। उन्होंने अपनी माँ की मजबूत इच्छाशक्ति और उनके ह्यूमर की तारीफ करते हुए लिखा था कि कैसे उनकी माँ ने सर्जरी के बाद भी अपना हौसला कायम रखा। फराह ने लिखा था, "मेरी माँ एक सच्ची योद्धा हैं, जिन्होंने हमेशा हर परिस्थिति में दमदार होकर सामना किया।"

परिवार और बच्चपन

मेनका ईरानी का फिल्मी दुनिया के साथ एक गहरा रिश्ता रहा। वह खुद कोई बड़ी कलाकार ना होने के बावजूद एक सशक्त और प्रेरणादायक महिला थीं, जिन्होंने अपने बच्चों के भविष्य के लिए हर संभव प्रयास किया। मेनका ईरानी, प्रसिद्ध बाल कलाकार डेज़ी ईरानी और हनी ईरानी की बहन थीं। अपनी दोनों बहनों की तरह, मेनका का भी शुरुआती जीवन ही संघर्षों से भरा हुआ था, परंतु उन्होंने हार नहीं मानी।

फराह की पुरानी यादें

एक पुराने साक्षात्कार में फराह ने याद किया कि उनकी माँ ने उन्हें धमकी दी थी कि अगर वह छोटी उम्र में शादी करेंगी तो उन्हें घर से बाहर कर दिया जाएगा। मेनका का मानना था कि लड़कियों के लिए वित्तीय आत्मनिर्भरता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। यही सीख फराह और साजिद के जीवन में हमेशा प्रभावी रही।

मेनका के जीवन की प्रेरणा

मेनका ईरानी उन माता-पिता में से थीं, जिन्होंने अपने जीवन में हर तरह की कठिनाइयों का सामना किया और अपने बच्चों को सफल बनाया। उनके भीतर वह दृढ़ता थी जो अपने बच्चों की सफलता के लिए कोई भी त्याग करने को तैयार रहती थी। फराह खान ने कई बार अपने इंटरव्यूज में यह बताया कि उनकी माँ ने कैसे हालातों का सामना किया और अकेले ही उन्हें और साजिद को पाला। मेनका ईरानी का जीवन एक प्रेरणा स्रोत था, जिसने बहुत से लोगों को जीवन में संघर्ष करने और हार न मानने की सीख दी।

फिल्म जगत के और भी कई प्रमुख हस्तियों ने मेनका ईरानी के निधन को लेकर शोक व्यक्त किया और परिवार के प्रति संवेदनाएँ जाहिर कीं। हर कोई उन्हें एक मजबूत और बहुत ही प्यारी महिला के रूप में याद कर रहा है, जिन्होंने एक कठिन जीवन जिया और अपने बच्चों को ऊँचाइयों तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

मेनका के प्रति श्रद्धांजलि

उनके निधन के बाद सोशल मीडिया पर कई लोगों ने मेनका ईरानी के प्रति अपनी संवेदनाएँ प्रकट कीं, और फराह व साजिद के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त की। शिल्पा शेट्टी, ट्विंकल खन्ना और कई अन्य सेलेब्स ने भी अपनी श्रद्धांजलि दी। फराह खान के लिए यह समय बेहद कठिन है, लेकिन उन्हें अपनी माँ की उन सब बातों का याद आना, जिसमें वह हमेशा सकारात्मक रहने और कठिनाइयों का सामना करने की सीख देती थीं, अब और भी ज्यादा मूल्यवान हो गया है।

मेनका की स्मृति में

मेनका ईरानी की स्मृति में, उनके परिवार ने एक छोटी सी सभा का आयोजन किया, जिसमें उनके करीबी रिश्तेदार और मित्र शामिल हुए। इस अवसर पर फराह ने अपने भावुक संबोधन में कहा कि उनकी माँ हमेशा उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहेंगी और उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं को वह जीवनभर संजोकर रखेंगी। फराह और साजिद ने अपनी माँ के सम्मान में उनकी अंतिम यात्रा को धूमधाम से आयोजित किया, ताकि उनकी माँ की आत्मा को शांति मिल सके।

मेनका ईरानी का निधन न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि उन सभी के लिए एक बड़ी क्षति है जिन्होंने उन्हें जाना और प्यार किया। उनकी संघर्षशीलता और अनूठी प्रेरणा को याद किया जाता रहेगा।

द्वारा लिखित Shiva Parikipandla

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूं और रोज़ाना भारत से संबंधित समाचार विषयों पर लिखना पसंद करती हूं। मेरा उद्देश्य लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है।

Hemant Saini

ये माँ जैसी ताकत किसी के जीवन में आए तो वो जीवन बदल जाता है। मेनका ईरानी ने सिर्फ अपने बच्चों को नहीं, बल्कि हर उस लड़की को सिखाया जो अकेले से जीना सीख रही हो। उनकी दृढ़ता एक ऐसा दर्पण है जो हम सबको दिखाता है कि असली शक्ति क्या होती है - ना धन, ना पद, बल्कि एक माँ की अडिग इच्छाशक्ति।

Nabamita Das

फराह की माँ की कहानी सिर्फ एक माँ की नहीं, बल्कि भारतीय महिलाओं की अनकही लड़ाई की है। उन्होंने अपने बच्चों को शिक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में ले जाने के लिए सब कुछ त्याग दिया। आज जो लड़कियाँ अपने सपनों के लिए लड़ रही हैं, उनके पीछे ऐसी ही कोई न कोई मेनका ईरानी खड़ी है।

chirag chhatbar

yaar ye sab toh bas media ki story hai... kya pata real life me kya hota hai? log toh bas emotional bana ke view bhi badha lete hai. ek maa ki kahani se kya farq padta hai? sab kuchh toh bina kisi kaam ke chal raha hai.

Aman Sharma

इस तरह की कहानियाँ तो हर दिन देखने को मिलती हैं - माँ ने त्याग किया, बच्चे सफल हुए, फिर शोक व्यक्त किया। लेकिन असली सवाल ये है: जब तक हम एक अकेली माँ को बचाने के लिए नहीं आएंगे, तब तक ये सब बस एक नाटक होगा। जनता को भावुक बनाने के लिए नहीं, बल्कि बदलाव लाने के लिए ये कहानियाँ इस्तेमाल होनी चाहिए।

sunil kumar

अरे भाई, ये तो एक लाइफ-लॉन्ग रिसिपी है! एक्सपोजर + अनिवार्य आत्मनिर्भरता + अटूट विश्वास = एक ऐसा बच्चा जो दुनिया को बदल दे! मेनका ईरानी ने इसे एक्सपेरिमेंटली साबित कर दिया! ये ना सिर्फ माँ की भूमिका है - ये एक सोशल इंजीनियरिंग का उदाहरण है! अगर हम सब इस फॉर्मूले को अपनाएं, तो भारत का अगला पीढ़ी नहीं, पूरा सिस्टम रिसेट हो जाएगा!

Arun Kumar

ये सब बहुत अच्छा लगा, लेकिन फराह ने क्या किया जब उसकी माँ बीमार थी? उसने फिल्में बनाईं, इंटरव्यू दिए, सोशल मीडिया पर पोस्ट किए - लेकिन उसकी माँ के लिए कोई असली समर्थन नहीं दिखा। अगर ये असली प्यार होता तो घर पर रहता, नौकरी छोड़ता, देखभाल करता। ये सब बस बाहरी दिखावा है।

Snehal Patil

रो रही हूँ 😭💔 ये माँ तो एक गॉडडेस थी 🙏✨