डुलेप ट्रॉफी सेमीफ़ाइनल में नारायण जगदेवसैन का 197—डबल सेंचुरी से तीन रन दूर

मिर्ची समाचार

डबल सेंचुरी की ओर बढ़ता सफर

बीसीसीआई सेंटर ऑफ एक्सलेंसेस, बेंगलुरु में दोरों को छूते हुए डुलेप ट्रॉफी के दूसरे सेमीफ़ाइनल में दक्षिण ज़ोन ने उत्तर ज़ोन के मुकाबले में बहुत ही रोमांचक शुरुआत की। नारायण जगदेवसैन ने अपनी पनाह को 197 रन तक बढ़ाया, लेकिन अंतिम दो पर कटौती से उनका दोहरा शतक बस तीन रन दूर रह गया। 507 मिनट, चार सत्रों में 16 चौके और तीन छक्के—इन आँकों से उनका नाम बांसुरी की तरह गूँज रहा था।

जगदेवसैन का खेल शुरू में ही मज़बूत रहा। पहले सत्र में उन्होंने तनमेय अग्रवाल के साथ 100‑रन की साझेदारी बनाई, फिर दोसरे सत्र में देवदत्त पाडिक्कल के साथ फिर से शतक का लक्ष्य छू लिया। दोनों साझेदारियां असाधारण थी, और उनका मिलजुला 200‑रन का मंचन दक्षिण ज़ोन को 536 के भारी लक्ष्य तक पहुँचाने में मददगार साबित हुआ।

पूरे innings में उन्होंने टेस्ट‑सेमर अंशुल कम्बोज और फॉर्म में आए औकिब नबी जैसे तेज़ गेंदबाजों के खिलाफ भी धैर्य दिखाया। लगातार चलती गेंद को घास‑गुज़रते हुए, वह कभी भी अपना पैरों का दायरा नहीं खोते थे। इस प्रकार उनका 'टेक्निकल रॉक' मैदान में साफ़ दिखता रहा।

रन‑आउट की घातक घड़ी

रन‑आउट की घातक घड़ी

दूसरे दिन दोपहर के खाने से ठीक पहले नशांत सिंधु ने एक तेज़ फ़ील्डिंग में गेंद को पकड़ा और मृत्युदंड के रूप में रन‑आउट चलाया। यह एक क्षणिक चूक थी, पर सारा खेल बदल गया। जगदेवसैन का सिर पैर बाहर गिरते ही, वे अपनी पैंट के नीचे पाँव के साथ मैदान पर थम गए। इस कटाक्ष जैसा डरावना पल दर्शकों के बीच एक चुप्पी बन गया।

रन‑आउट के बाद उनके चेहरे पर उदासी छा गई। लंच टाइम में वह कारोट भुजने के दौरान गोल्डिंग माचिस की तरह चुपचाप बाउंड्री के चारों ओर टहला। इस दृश्य में उनकी मन की पीड़ा साफ़ झलकती थी—एक खिलाड़ी की आशा और निराशा का मिश्रण। फिर भी, उनके चेहरे पर जल्द ही मुस्कुराहट लौट आई, जो उनके भीतर की लचीलापन और दृढ़ता का परिचय देती है।

जगदेवसैन को हाल ही में भारत की इंग्लैंड यात्रा में रिषभ पंत के स्थान पर बुलाया गया था, लेकिन ध्रुव जुरेल ने विकेट‑कीपिंग संभाली। इस अनुभव ने उन्हें भारतीय टीम के माहौल में झाँकने का मौका दिया, और वह बताते हैं कि यह उनके विकास के लिए काफी मूल्यवान रहा। इस सिमेफ़ाइनल में उनका निराशा, इस बड़े मंच पर उनके संघर्ष की कहानी को और गहरा बना देता है।

  • पिछले दो रनजी ट्रॉफी सीज़न्स में कुल 1490 रन
  • 2023‑24 में 816 रन, 2024‑25 में 674 रन
  • तीन सत्रों में 16 चौके, 3 छक्के
  • दक्षिण ज़ोन की पहली पारी में 536 रन, जिसका बड़ा हिस्सा उनका योगदान है

उनके इस लंबी, सामंजस्यपूर्ण और निराशाजनक innings ने न सिर्फ दक्षिण ज़ोन को मजबूती दी, बल्कि इंडियन डोमेस्टिक क्रिकेट में उनकी महत्वता को भी दोबारा स्थापित किया। जहाँ तक भविष्य की बात है, उनके अनुभव और प्रतिकूल परिस्थितियों को संभालने की क्षमता उन्हें अगले बड़े अवसरों के लिए तैयार कर रही है।

द्वारा लिखित Shiva Parikipandla

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