कंगुवा फिल्म का ट्विटर रिव्यू: सुरिया के अभिनय की जमकर तारीफ़, लेकिन फिल्म ने बटोरे मिले-जुले प्रतिक्रियाएं

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कंगुवा: एक फैंटेसी एक्शन ड्रामा

सिनेमा की दुनिया में मनोविलास और एक्शन का संयोजन अद्वितीय अनुभव जुटाता है और 'कंगुवा' फिल्म इसी श्रृंखला में एक नवीनतम जोड़ है। निर्देशक शिवा के मार्गदर्शन में बनी यह फिल्म विशाल बजट के साथ प्रस्तुत की गई है। इस फिल्म में प्रसिद्ध अभिनेता सुरिया ने प्रमुख भूमिका निभाई है और उनके साथ बॉबी देओल और दिशा पाटनी भी अहम किरदारों में हैं। फिल्म की कहानी सुरिया के दो अलग-अलग समय चक्रों में निभाए गए डबल रोल पर आधारित है, जो इसकी लोक-प्रियता का एक प्रमुख कारण बना।

सुरिया की अदाकारी

फिल्म 'कंगुवा' में सुरिया के अभिनय की जमकर तारीफ़ की गई है। उनके द्वारा प्रदर्शित किया गया अभिनय फिल्म के सबसे मजबूत पक्षों में से एक है। दर्शकों और समीक्षकों ने ट्विटर पर सुरिया के प्रति प्रशंसा व्यक्त करते हुए इसे बेहद प्रभावशाली प्रदर्शन बताया। 'कंगुवा' में सुरिया ने एक इंसानी स्वभाव के सभी रंगों को जीने की कोशिश की है, जिससे उनके किरदार को एक विशेष गहराई मिली है। उनकी अभिनय क्षमता को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि उनका किरदार एकल प्रदर्शन के बराबर है।

फिल्म की कथा और पटकथा

जहां सुरिया की अदाकारी को फैंस और समीक्षक सराह रहे हैं, वहीं फिल्म की कहानी और पटकथा ने दर्शकों की कड़ी प्रतिक्रिया हासिल की है। कुछ दर्शकों का मानना है कि कहानी की रागिनी और गति में कमी ने इसे असमान बना दिया है, जबकि इसकी पटकथा परिस्थिति के अनुसार नहीं बदलती दिखी। फिल्म के संवाद की ऊंचाई और इसकी नाटकीयता ने कुछ जगहों पर दर्शकों को थकाने का अनुभव कराया, जो इसकी कहानी के प्रति किसी के संवाद कनेक्शन को और कमजोर बनाते हैं।

फिल्म के भव्य दृश्य और संगीत

फिल्म के दृश्यों का भव्यता और दृश्यात्मक तालमेल असाधारण है। विशेष रूप से दृश्य के महाकाव्य दृश्य और एक रोमांचक मगरमच्छ धारणा को लेकर भारी प्रशंसा मिली है। जबकि कुछ दर्शकों के लिए कहानी की लंबाई और तीव्रता थोड़ी अधिक महसूस हो सकती है, फिर भी इन दृश्य दृष्यों ने दर्शकों को बांधकर रखा है। संगीतकार देवी श्री प्रसाद के धुन भी अपने आप में संगीत की शक्ति को दर्शाती हैं।

एक समाप्ति की ओर बढ़ती यात्रा

कंगुवा की यात्रा बढ़त की ओर है, लेकिन फिल्म के लंबे समय तक चलने से कुछ दर्शकों ने इसकी लंबाई को थकाऊ बताया है। इस प्रकार के फिल्मों में दर्शकों की उत्सुकता बनाए रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है, और 'कंगुवा' ने इसके प्रयास में कुछ दर्शकों की थकावट को भी हासिल किया है। हालांकि इस विकट स्थिति में भी, सुरिया की फिल्म के प्रति निष्ठा और उनकी मेहनत को सराहा गया है।

फिल्म की भविष्य की यात्रा

'कंगुवा' की थियेटर में आठ सप्ताह की अवधि निर्धारित की गई है और इसे दिसंबर के अंत या जनवरी के पहले हफ्ते तक अमेज़न प्राइम पर उपलब्ध कराने की योजना है। इस प्रकार, फिल्म ने अपने भव्य दृश्य और सुरिया के अभिनय के कारण काफ़ी ध्यान खींचा है, लेकिन इसकी कथा और पटकथा ने मिश्रित समीक्षाओं की झड़ी लगा दी है।

द्वारा लिखित Shiva Parikipandla

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूं और रोज़ाना भारत से संबंधित समाचार विषयों पर लिखना पसंद करती हूं। मेरा उद्देश्य लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है।

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manivannan R

सुरिया का एक्शन सीन तो बस फुल स्टॉप था... उसके दोनों रोल्स में उसने जो एनर्जी डाली, वो बिल्कुल अलग डायनामिक्स थी। फिल्म की कहानी थोड़ी लंबी लगी पर उसका अभिनय बचाने के लिए काफी था।

Uday Rau

इस फिल्म में जो विजुअल्स हैं, वो किसी एपिक पोएम जैसे हैं। मगरमच्छ का दृश्य? बस ब्रेन शॉर्ट सर्किट। और देवी श्री प्रसाद का संगीत? वो तो दिल की धड़कन को रिमिक्स कर रहा था। सुरिया के बिना ये फिल्म क्या होती? एक बहुत बड़ा वैक्यूम।

sonu verma

मुझे लगा फिल्म थोड़ी लंबी थी, पर सुरिया के एक्शन सीन्स ने मुझे बचा लिया। वो जब भी स्क्रीन पर आता, मैं बस देखता रह जाता। बहुत अच्छा अभिनय किया है।

Siddharth Varma

क्या कहानी का टाइमिंग थोड़ा बेकार था? या मैंने सिर्फ़ सुरिया के लुक्स में खो गए थे? 😅

chayan segupta

ये फिल्म देखो बस! सुरिया का एक्शन और ड्रामा दोनों एक साथ बिल्कुल बॉस था। अगर आपने अभी तक नहीं देखी, तो अभी देखो! बहुत मजा आएगा!

King Singh

फिल्म अच्छी थी, पर थोड़ी ज्यादा लंबी लगी। जो लोग धीमी गति वाली फिल्में पसंद करते हैं, उनके लिए बहुत अच्छी है। सुरिया ने बहुत मेहनत की है।

Dev pitta

कहानी थोड़ी फटी हुई लगी, पर सुरिया का अभिनय उसकी बर्बरता को छुपा देता है। जब वो बोलता है, तो लगता है जैसे कोई दर्द बयान कर रहा हो।

praful akbari

अभिनय और विजुअल्स ने फिल्म को जिंदा रखा। कहानी बस एक रास्ता थी, जिस पर वो चले।

kannagi kalai

बहुत लंबी फिल्म थी। दूसरे घंटे में ही मैंने चाय बनानी शुरू कर दी।

Roy Roper

सुरिया अच्छा है पर फिल्म बेकार। पटकथा बेवकूफ़ी है।

Sandesh Gawade

क्या तुम लोग इतने बातूनी हो? सुरिया ने जो किया, वो बहुत बड़ा काम है। बाकी सब बस डिटेल्स हैं। फिल्म देखो, रोएं, हंसो, और बाहर आओ। बाकी सब बहस नहीं, अनुभव है।