निधि तिवारी बनीं प्रधानमंत्री मोदी की नई निजी सचिव: वाराणसी की बेटी का सफर

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निधि तिवारी: वाराणसी से प्रधानमंत्री कार्यालय तक का सफर

वाराणसी की मूल निवासी निधि तिवारी, जो अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निजी सचिव नियुक्त हुई हैं, का जीवन और करियर वाकई प्रेरणादायक है। उनका यह पद तत्काल प्रभाव से लागू हुआ जिसे कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने मंजूरी दी। निधि की पढ़ाई और मेहनत का नतीजा यह है कि वे आज इतनी महत्वपूर्ण स्थिति पर हैं, जिसने महिलाओं के लिए नई राह खोली है।

निधि 2013 के UPSC सिविल सेवा परीक्षा में 96वें स्थान पर रहीं थीं। उनके करियर की शुरुआत वाराणसी के वाणिज्यिक कर विभाग में सहायक आयुक्त के रूप में हुई थी। इसके बाद 2014 में आईएफएस में शामिल होकर उन्होंने विदेश मंत्रालय के निरस्त्रीकरण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में अधीन सचिव के रूप में काम किया।

प्रभावशाली भूमिकाएं और कूटनीतिक संचालन

पीएमओ में उप सचिव के रूप में उनकी भूमिका ने उन्हें कूटनीतिक और सुरक्षा मामलों में सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर दिया। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ काम करते हुए कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान उनके प्रयासों और योगदान को विशेष रूप से सराहा गया।

निधि तिवारी की नियुक्ति पीएमओ की नेतृत्व संरचना में एक नया बदलाव लेकर आई है। वह विवेक कुमार और हार्दिक सतिशचंद्र शाह जैसे पूर्व सचिवों की कड़ी में तीसरी महिला हैं जो इस महत्वपूर्ण पद को संभाल रही हैं। इससे यह साफ है कि भारत अब अधिक वैश्विक कूटनीति और सुरक्षा के मामलों में महिलाओं को अधिक स्थान दे रहा है।

द्वारा लिखित Shiva Parikipandla

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूं और रोज़ाना भारत से संबंधित समाचार विषयों पर लिखना पसंद करती हूं। मेरा उद्देश्य लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है।

Pooja Tyagi

ये लड़की तो बस जबरदस्त है! 😍 वाराणसी से शुरू करके PMO तक पहुँचना? मेरी बहन भी UPSC दे रही है, इसकी कहानी सुनाकर मैंने उसे पूरा दिन एनर्जी दे दी! 🙌🙌 ये निधि तिवारी को तो बहुत बधाई! 💪🔥

Kulraj Pooni

अरे भाई, ये सब तो सिर्फ एक बुरी आदत है... जब तक लड़कियों को नौकरी नहीं मिल जाती, तब तक लोग उन्हें 'प्रेरणा' बना देते हैं! आखिरकार, ये सब तो सिर्फ एक नियुक्ति है, असली बदलाव तो गाँव में बच्चियों को पढ़ाने से शुरू होता है! 🤷‍♂️

Hemant Saini

सच कहूँ तो ये कहानी बहुत गहरी है। एक छोटे से शहर से निकलकर देश के सबसे ऊँचे पद पर पहुँचना... ये सिर्फ मेहनत नहीं, एक अदृश्य शक्ति का भी नाम है। जब तक हम अपनी आत्मा को नहीं बदलेंगे, तब तक कोई नौकरी भी बदल नहीं सकती। निधि ने अपनी आत्मा को बदल दिया, और दुनिया ने उसे देख लिया। 🌱

Nabamita Das

कुलराज, तुम बिल्कुल गलत हो। ये बस एक नियुक्ति नहीं, ये एक संदेश है कि लड़कियाँ भी देश के निर्णय ले सकती हैं। जब तक तुम ये समझ नहीं लेंगे कि लड़कियों के लिए ये सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि एक जंग है, तब तक तुम अपनी बात नहीं समझ पाओगे।

chirag chhatbar

ye sab toh bas bhaiya ka natak hai... koi 96 rank kaise aati hai? shayad kuchh jhooth bol raha hai... maine toh 2013 mei UPSC dekha tha, sab log bolte the koi 96 rank nahi hota... yeh sab media ka drama hai

Aman Sharma

महिलाओं को बढ़ावा देना अच्छा है... लेकिन क्या हम इसे एक नीति बना रहे हैं? क्या ये योग्यता पर आधारित नहीं, बल्कि एक लिंग नीति है? ये सब एक बड़ा धोखा है।