लोकसभा सत्र 2024: लोकसभा अध्यक्ष चुनाव में गरमा-गर्मी, नामांकन प्रक्रिया शुरू
18वें लोकसभा सत्र की शुरुआत
24 जून, 2024 को 18वें लोकसभा सत्र की धमाकेदार शुरुआत हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य, और नए निर्वाचित सदस्यों ने पहले दिन ही शपथ ग्रहण किया। इस मौके पर संसद भवन में एक नई ऊर्जा और उत्साह दिखाई दिया। देश के विभिन्न हिस्सों से आए सांसदों ने भी इस समारोह में हिस्सा लिया।
पहले दिन की गतिविधियाँ
पहले दिन संसद सदस्यता के लिए उत्तरदायित्व निभाने वाले सांसदों ने शपथ ली। इन राज्यों के सांसदों ने इस सत्र में हिस्सा लिया: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़, दिल्ली, दमन और दीव, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, लद्दाख और मध्य प्रदेश।
मंगलवार, 25 जून, 2024 को बचे हुए सांसद शपथ ग्रहण करेंगे। इस प्रकार लोकसभा सत्र ने एक नई शुरुआत की है, जिसमें सभी सदस्यों का योगदान महत्वपूर्ण माना जाएगा।
लोकसभा अध्यक्ष पद के चुनाव
आज लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी। एनडीए की ओर से उम्मीदवार के रूप में ओम बिड़ला का नाम प्रस्तावित किया गया है, जबकि कांग्रेस पार्टी की ओर से इस पद के लिए के. सुरेश का नाम सामने आया है। दोनों ही नेता अपने-अपने दलों के प्रमुख चेहरे हैं और अपनी क्षमता से इस पद के लिए उपयुक्त माने जा रहे हैं।
लोकसभा अध्यक्ष का पद संसद में अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह व्यक्ति सदन की नियमावली और प्रक्रिया का पालन कराने का काम करता है। इस पद के लिए संघर्ष और चुनावी प्रक्रिया बहुत ही रोचक हो सकती है क्योंकि विपक्षी दल भी अपनी ताकत आजमाना चाहेंगे।
विपक्ष का प्रदर्शन
लोकसभा सत्र के पहले ही दिन विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं ने संविधान की प्रतियां लेकर मार्च किया और सरकार की नीतियों के खिलाफ अपनी नाराज़गी जताई। इस प्रदर्शन में सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी समेत 'इंडिया' गठबंधन के अन्य नेता शामिल थे।
यहाँ पर विपक्ष ने अपने एकजुटता का परिचय देते हुए सरकार को यह संदेश देने का प्रयास किया कि वे कई मुद्दों पर विरोध करते रहेंगे। यह प्रदर्शन यह भी दिखाता है कि आगामी दिनों में सत्र के दौरान विरोध और बहस का माहौल गर्मा सकता है।
राजनीतिक रण में तेवर
इस सत्र की शुरुआत से ही स्पष्ट हो गया है कि राजनीतिक माहौल बेहद तीखा होगा। दोनों पक्ष अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ मैदान में उतर चुके हैं। सरकार के सामने कई चुनौतियाँ होंगी जिनसे उन्हें लोकसभा और देश की जनता के समक्ष निपटना होगा।
लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव के परिणामों का राजनीति और संसद दोनों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। यह चुनाव केवल सत्ता का संघर्ष नहीं है बल्कि देश की विधायी व्यवस्था की दिशा और दशा को भी निर्धारित करेगा।
संभव मुद्दों की सूची
आगामी सत्र में जिन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है, उनमें ग्रामीण विकास, शिक्षा नीति, स्वास्थ्य सेवा सुधार, आर्थिक नीतियाँ, और सुरक्षा संबंधित मुद्दे शामिल हैं। यह देखा जाना महत्वपूर्ण होगा कि किस प्रकार से प्रस्तावित नीतियाँ और विधेयक पास होते हैं और उनका जनता पर क्या प्रभाव पड़ता है।
गौरतलब है कि नए सांसदों की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण होगी। उम्मीद की जाती है कि वे अपने अनुभव और ज्ञान से संसद के कार्यों को और अधिक प्रभावी बनाएंगे। इस सत्र में पेश किए जाने वाले विधेयक और प्रस्ताव देश की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि सत्र के दौरान दोनों पक्षों के बीच गरमागरमी बनी रहेगी। संसद में उठने वाले सवाल और उनके उत्तर देश के विकास और उसकी दिशा को स्पष्ट करेंगे।
एक टिप्पणी लिखें