अमेरिकी चुनाव 2024: पोल बंद होने का समय और परिणामों की घोषणा की अपेक्षित समयसीमा

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2024 अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की गूंज: कब बंद होंगे पोल और कब आएंगे परिणाम?

5 नवंबर, 2024, मंगलवार को इतिहास के पन्नों में एक और अहेम दिन जुड़ गया जब अमेरिका ने अपना नया राष्ट्रपति चुनने के लिए मतदान किया। चुनाव की बेसब्री और रोमांच में हर अमेरिकी जुटा था। इस बार के चुनावी घटनाक्रम ने देश की राजनीति में हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। मतदान का यह दिन महज एक दिन नहीं होता, बल्कि यह लोकतंत्र की नींव का वो पत्थर होता है जो भविष्य की नीतियों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का भी निर्माण करता है।

इस बार के चुनाव को लेकर एक बड़ी चिंता का विषय यह है कि पोल कितने बजे बंद होंगे और परिणाम कब तक ज्ञात होंगे। अमेरिकी चुनाव प्रणाली में यह जटिलता हमेशा रही है कि कई बार विजेता की घोषणा में देरी हो जाती है। इसकी एक प्रमुख वजह यह है कि अमेरिका के समय क्षेत्रों के अनुसार पोल बंद होने का समय भिन्न-भिन्न होता है। कुछ राज्य पहले पोल बंद कर देते हैं, जबकि कुछ राज्य देर तक पोल खुले रखते हैं।

मेल-इन बैलेट और उनकी चुनौती

पिछले कुछ वर्षों में, खासकर कोविड-19 महामारी के दौर में मेल-इन बैलेट का चलन काफी बढ़ गया है। जहां इसे उन नागरिकों के लिए सुविधा के रूप में देखा जा सकता है जो फिजिकली मतदान नहीं कर सकते, वहीं इसके कारण दैनिक टिप-ऑफ प्रक्रिया में समय लगता है। मेल-इन बैलेट की बड़ी संख्या का गिनना एक लम्बी प्रक्रिया है और यही कारण है कि परिणामों की घोषणा में देरी होती है।

बदले कानून और उनकी उपयोगिता

2024 के राष्ट्रपति चुनाव की प्रकृति की गहराई को समझते हुए, कई राज्यों ने चुनाव गणना प्रक्रिया में गति लाने के लिए अपने कानूनों में परिवर्तन किये हैं। इससे यह उम्मीद की जा रही है कि मतदान की रात को ही कुछ हद तक परिणाम घोषित किए जा सकते हैं। पर फिर भी, कुछ राज्य पहले दिन ही वोटों की गिनती करने लगते हैं, जबकि कुछ राज्य पोल बंद होने के बाद ही गिनती शुरू करते हैं।

बाहर आती खबरों के मुताबिक, कुछ राज्यों ने अपनी चुनाव प्रक्रियाओं में तकनीकी सुधार भी किए हैं, जिससे डेटा एंट्री की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके। लेकिन यह भी देखा गया है कि किसी भी नई प्रणाली को अपनाने में लोगों को सामंजस्य बिठाने में समय लगता है। ऐसे में नतीजों की घोषणा की तेजी में निश्चितता नहीं होती। महत्वपूर्ण राज्यों में चुनावी परिणाम की जोड़तोड़ चलते परिणामों में समय लग सकता है।

इस बार का चुनाव अमेरिका के लिए ये एक अहम अवसर भी है। इसे देखते हुए देश के प्रत्येक नागरिक की पहचान और उनकी आकांक्षाएं इस चुनाव परिणाम में निर्भर करती हैं। अमेरिका की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को समझने, करने और करने का यह एक स्कूल भी है।

श्वेत पत्रों का इंतजार

अगर कुछ मामलों को ध्यान में रखें, तो यह सुनिश्चित है कि 2024 का चुनाव भी शायद उतना ही बड़ा चर्चा का विषय होगा जितना पिछला चुनाव था। इसके लिए आवश्यक है कि जनता धैर्य रखना सीखे, क्योंकि बैलेट गिनती के पल-पल का महत्व स्पष्ट है। इसलिए, जब तक पोल बंद नहीं होते और गिनती पूरी नहीं होती, तब तक प्रत्याशियों को लेकर अनुमान लगाना बुद्धिमानी नहीं होगी।

द्वारा लिखित Shiva Parikipandla

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूं और रोज़ाना भारत से संबंधित समाचार विषयों पर लिखना पसंद करती हूं। मेरा उद्देश्य लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है।

Sandesh Gawade

भाई ये चुनाव तो अमेरिका का है, हम यहां बैठे हैं और टीवी पर बैलेट गिनती देख रहे हैं! लेकिन जब तक हमारे देश में वोटिंग का एक अच्छा सिस्टम नहीं आएगा, तब तक हम बस देखते रहेंगे।

MANOJ PAWAR

मेल-इन बैलेट्स की वजह से परिणाम देर से आना तो समझ में आता है, लेकिन ये जो लोग एक दिन में ही रिजल्ट घोषित कर देना चाहते हैं, उनका तो दिमाग ही गड़बड़ है। लोकतंत्र का नाम लेकर भी तेजी से निर्णय लेने की भावना बहुत खतरनाक है।

Pooja Tyagi

अरे भाई! मेल-इन बैलेट्स को गिनना लंबा क्यों है? क्योंकि वो असली वोट हैं! जो लोग ऑनलाइन वोट करना चाहते हैं, उन्हें बस एक बटन दबाना है, लेकिन जो लोग डाक से भेजते हैं, वो असली लोकतंत्र के लोग हैं!!! और ये जो लोग तुरंत रिजल्ट चाहते हैं, वो तो बस ट्रेंड देखना चाहते हैं, न कि समझना!!!

Kulraj Pooni

ये सब बातें तो बहुत सुंदर हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि अमेरिका का लोकतंत्र असल में एक धोखा है? जिस देश में दो पार्टियां हैं, और दोनों का बिजनेस एक जैसा है - लोगों को डराना और उन्हें वोट देने के लिए मजबूर करना। ये सब नाटक है।

Hemant Saini

मैं तो सोचता हूं कि ये चुनाव सिर्फ अमेरिका के लिए नहीं, बल्कि दुनिया के लिए एक टेस्ट केस है। अगर एक इतना बड़ा देश भी इतना धीरे-धीरे रिजल्ट दे रहा है, तो क्या हमारे देश में जो एक घंटे में रिजल्ट आ जाते हैं, वो असली हैं? या फिर वो भी एक नियंत्रित नाटक हैं? ये सवाल तो हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं।

Nabamita Das

मेल-इन बैलेट्स की गिनती धीमी होने की वजह सिर्फ तकनीकी नहीं है - ये राजनीतिक देरी है। कुछ राज्य जानबूझकर गिनती देर से शुरू करते हैं ताकि उनके वोटर्स को अच्छा लगे। ये नियमित चुनावी धोखा है।

chirag chhatbar

भाई ये सब लिखा हुआ है लेकिन असल में तो ये चुनाव बस एक बड़ा शो है। जो भी जीतेगा, उसका नाम अमेरिका के नाम से लगा हुआ है, लेकिन असली नियंत्रण तो कुछ और लोगों के हाथ में है।

Aman Sharma

मुझे लगता है कि जिस देश में लोग अपने वोट के लिए 10 घंटे लाइन में खड़े होते हैं, उसका लोकतंत्र बहुत अच्छा है। लेकिन जहां लोग बस ट्विटर पर ट्रेंड देखकर फैसला कर लेते हैं, वहां लोकतंत्र का कोई मतलब नहीं।

sunil kumar

अगर आप वोटिंग प्रोसेस में टेक्नोलॉजी इंटीग्रेट करते हैं - ब्लॉकचेन, ऑटो-वेरिफिकेशन, रियल-टाइम एन्क्रिप्शन - तो आप रिजल्ट्स को 2 घंटे में घोषित कर सकते हैं। लेकिन लोग बस अपने पुराने सिस्टम को नहीं छोड़ना चाहते। इसलिए देरी होती है। ये नहीं कि तकनीक नहीं है - ये कि इरादा नहीं है!

Arun Kumar

अमेरिका में लोग अपने वोट के लिए जाते हैं, लेकिन हमारे देश में लोग वोट बेच देते हैं। इसलिए हमारे रिजल्ट तेज आते हैं - क्योंकि वोट तो पहले से ही बांट चुके होते हैं। अमेरिका तो बस एक बड़ा झूठ बोल रहा है।

Snehal Patil

मेल-इन बैलेट्स = धोखा। ट्रांसजेंडर वोटर्स = धोखा। लोगों को वोट करने का मौका देना = धोखा। ये सब चुनाव बस एक नाटक है।

Vikash Yadav

ये चुनाव तो एक बड़ा बॉलीवुड फिल्म है! जिसमें दो नायक, एक विलन, और एक अज्ञात अंत। लेकिन जब तक आप नहीं जानते कि असली विलन कौन है - तो आप बस दर्शक हैं। इसलिए रात भर बैठो, पॉपकॉर्न खाओ, और देखो कि कौन जीतता है।

sivagami priya

ये चुनाव तो हर साल का एक बड़ा त्योहार है! लेकिन जब तक हम अपने देश में भी इतना सम्मान वोट के प्रति नहीं रखेंगे, तब तक हम बस दूसरों के नाटक देखते रहेंगे।

Anuj Poudel

मुझे लगता है कि अगर हम चाहें तो ये चुनाव प्रक्रिया को बहुत बेहतर बनाया जा सकता है। लेकिन इसके लिए हमें पहले ये समझना होगा कि लोकतंत्र का मतलब सिर्फ वोट डालना नहीं है - बल्कि इसे समझना, जांचना, और उसमें शामिल होना है।

Aishwarya George

अमेरिका के चुनाव की जटिलता इसलिए है क्योंकि वहां लोगों के अधिकारों का सम्मान किया जाता है। हर वोट की वैलिडिटी चेक की जाती है - यही असली लोकतंत्र है। जहां रिजल्ट तेज आते हैं, वहां अक्सर वोट फर्जी होते हैं। धैर्य रखें - ये गिनती नहीं, न्याय की प्रक्रिया है।