अगर आप शेयर बाजार में थोड़ी‑बहुत दिक्कत महसूस कर रहे हैं, तो "स्टॉक स्प्लिट" शब्द शायद आपके कानों में आया होगा। दरअसल, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जहाँ कंपनी अपने मौजूदा शेयरों को छोटे‑छोटे हिस्सों में बाँट देती है। इससे शेयर की कीमत घटती है, लेकिन आपके पास शेयरों की कुल संख्या बढ़ जाती है। सरल शब्दों में, एक बड़े से छोटे टुकड़े बनाकर शेयर को अधिक लोगों के लिए सस्ता बना दिया जाता है।
स्टॉक स्प्लिट के मुख्य प्रकार
सामान्यतया दो प्रकार के स्प्लिट देखे जाते हैं – फ़ॉरवर्ड स्प्लिट और रिवर्स स्प्लिट। फ़ॉरवर्ड स्प्लिट में कंपनी शेयरों को 2:1, 3:1, 5:1 जैसे अनुपात में बाँट देती है। उदाहरण के तौर पर, यदि आपके पास 10 शेयर थे, 2:1 स्प्लिट के बाद आपके पास 20 शेयर हो जाएंगे, लेकिन प्रत्येक शेयर का मूल्य आधा रह जाएगा। रिवर्स स्प्लिट उल्टा होता है – कंपनी शेयरों की संख्या घटा देती है और कीमत बढ़ा देती है। यह अक्सर तब किया जाता है जब शेयर की कीमत बहुत कम हो जाती है और उसे एक्सचेंज की न्यूनतम कीमत के मानक से नीचे नहीं जाना चाहिए।
स्टॉक स्प्लिट का निवेशकों पर असर
स्टॉक स्प्लिट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह शेयर को अधिक तरल बनाता है। जब कीमत घटती है, तो छोटे निवेशकों के लिए शेयर खरीदना आसान हो जाता है, जिससे ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ता है। इससे अक्सर शेयर की कीमत में थोड़ा ऊपर‑नीचा होना देखी जाती है, लेकिन यह कोई गारंटीकृत लाभ नहीं है।
दूसरी ओर, रिवर्स स्प्लिट का असर थोड़ा अलग होता है। कंपनी बड़े शेयर मूल्यों को बनाए रखने के लिए कम शेयर जारी करती है, जिससे कभी‑कभी शेयर को प्रीमियम वाला रूप मिलता है। लेकिन यदि रिवर्स स्प्लिट केवल कीमत बचाने के लिए किया गया हो, तो यह मार्केट में नकारात्मक संकेत भी दे सकता है।
ध्यान देने वाली चीज़ों में से एक है कि स्प्लिट की घोषणा अक्सर कंपनी के भविष्य के ब्राइट विज़न को दर्शाती है, लेकिन यह हमेशा शेयर की कीमत में दीर्घकालिक वृद्धि की गारंटी नहीं देता। निवेशकों को स्प्लिट के साथ साथ कंपनी के मौलिक पहलुओं – जैसे आय, विकास दर, प्रबंधन की क्षमता – को भी देखना चाहिए।
अगर आप नई कंपनियों में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो स्प्लिट वाले शेयरों को देखना एक स्मार्ट चाल हो सकती है। छोटे मूल्य के कारण आप अधिक शेयर खरीद सकते हैं और पोर्टफोलियो को विविध बना सकते हैं। लेकिन याद रखें, किसी भी शेयर को खरीदने से पहले पूरी रिसर्च और जोखिम मूल्यांकन जरूर करें।
अंत में, स्टॉक स्प्लिट सिर्फ कीमत को बदलता है, लेकिन कंपनी की मूल भावना, कमाई और बाजार में उसकी जगह नहीं बदलता। इसलिए, इसे एक टूल के रूप में समझें – जो सही समय पर सही निर्णय के साथ उपयोग होने पर ही आपके निवेश को फायदा पहुंचा सकता है।
Adani Power ने 22 सितंबर 2025 को 1:5 शेयर स्प्लिट किया, जिससे ₹10 के मूल शेयर को पाँच ₹2 के हिस्सों में बांटा गया। यह कदम लिक्विडिटी बढ़ाने और छोटे निवेशकों को आकर्षित करने के लिए उठाया गया। शेयर की कीमत सैद्धांतिक रूप से ₹709 से घटकर ₹142 हुई। हालाँकि कंपनी का लाभ कम हुआ है, विशेषज्ञों का मानना है कि स्प्लिट से ट्रेडिंग बढ़ेगी और अधिक रिटेल बेस बनेंगे।