GIFT Nifty का पूरा गाइड – समझें, देखें और सही निर्णय लें
अगर आप शेयर बाज़ार में नए हैं या मौजूदा ट्रेडर्स को फ्यूचर मार्केट के बारे में जल्दी‑से‑जल्दी जानकारी चाहिए, तो GIFT Nifty आपके लिये एक अच्छा शुरुआती बिंदु हो सकता है। यह सिर्फ़ एक इंडेक्स नहीं, बल्कि दिल्ली के गिफ्ट (ग्लोबल इंटेलिजेंट फ़ाइनेंशियल टर्मिनल) में ट्रेड होने वाली फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट का नाम है। यहाँ हम सरल शब्दों में बताते हैं कि GIFT Nifty क्या है, आज इसका रुझान कैसा दिख रहा है और किन बातों को ध्यान में रखकर आप अपने निवेश को बेहतर बना सकते हैं।
GIFT Nifty की बुनियाद – कैसे काम करता है?
GIFT Nifty का पूरा नाम “ग्लोबल इंटेलिजेंट फ़ाइनेंशियल टर्मिनल निफ़्टी” है। यह NIFTY 50 इंडेक्स पर आधारित फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट है, यानी इसका मूल्य NIFTY 50 के स्टॉक्स की औसत कीमतों से तय होता है। इस कॉन्ट्रैक्ट को आप एक महीने या तीन‑तीन महीने तक रख सकते हैं; समाप्ति तिथि के करीब पहुँचते‑पहुचते कीमत बदलती रहती है और आपका मुनाफ़ा या नुकसान उसी पर निर्भर करता है।
फ़्यूचर ट्रेडिंग में मार्जिन (जमा) कम होता है, इसलिए छोटे निवेशकों को बड़ी पोजीशन लेने का मौका मिलता है। लेकिन इसी कारण जोखिम भी अधिक रहता है – अगर बाज़ार आपके ख़िलाफ़ चलता है तो नुकसान जल्दी बढ़ सकता है। इसलिए शुरुआती लोगों के लिये यह जरूरी है कि वे पहले डेमो अकाउंट या छोटा मार्जिन प्रयोग करके समझें और फिर धीरे‑धीरे निवेश बढ़ाएँ।
आज का GIFT Nifty सारांश – क्या देखना चाहिए?
हर ट्रेडिंग दिन की शुरुआत में आप सबसे पहले “ऑपन प्राइस”, “हाई” और “लो” को देखें। अगर ओपन प्राइस पिछले क्लोज़ से ऊपर है तो बाजार बूलिश (उपर‑की) माना जाता है, नीचे हो तो बेयरिश (नीचे‑की)। साथ ही वॉल्यूम यानी लेन‑देन की मात्रा देखना न भूलें; ज्यादा वॉल्यूम के साथ कीमत में बदलाव का मतलब अक्सर मजबूत ट्रेंड होता है।
आज के अपडेट के अनुसार GIFT Nifty 20,200 के आस‑पास ट्रेड कर रहा था, और पिछले दो हफ्तों से 1.5% की हल्की उछाल देखी गई थी। यदि आप लाँघे‑फेंके निवेश करने वाले हैं तो इस छोटे‑से रेंज में एंट्री पॉइंट ढूँढ सकते हैं – जैसे कि अगर कीमत 20,150 के नीचे गिरती है तो खरीदना और 20,250 से ऊपर जाने पर बेच देना फायदेमंद हो सकता है। लेकिन याद रखें, हर ट्रेड में स्टॉप‑लॉस सेट करना ज़रूरी है, ताकि अचानक बाजार उल्टा मोड़ ले तो नुकसान सीमित रहे।
एक और चीज़ जो अक्सर नजरअंदाज होती है – “ओपन इंटरेस्ट” (OI)। OI बताता है कि कितनी पोजीशन अभी खुली हैं; अगर OI बढ़ रहा हो लेकिन कीमत गिर रही हो, तो इसका मतलब है नए बियरिश ट्रेडर्स मार्केट में आ रहे हैं। इसके उलट, यदि OI घटता और कीमत बढ़ती दिखे, तो यह संकेत देता है कि बड़े खिलाड़ी अपने पोज़ को बंद कर रहे हैं – संभवतः एक छोटा रिवर्सल आने वाला है।
सारांश में कहें तो GIFT Nifty को समझने के लिए आपको सिर्फ़ चार चीज़ों पर नजर रखनी चाहिए: ओपन/क्लोज़, हाई‑लो रेंज, वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट। इनको देख कर आप जल्दी से तय कर सकते हैं कि आज का दिन ट्रेड करने लायक है या नहीं।
अंत में एक छोटी सी सलाह – हमेशा अपने निवेश लक्ष्य को स्पष्ट रखें। यदि आपका उद्देश्य दीर्घकालिक रिटर्न है तो फ्यूचर की जगह सीधे स्टॉक्स या म्यूचुअल फ़ंड्स बेहतर हो सकते हैं। लेकिन अगर आप दिन‑प्रति‑दिन छोटे‑छोटे प्रॉफिट लेना चाहते हैं, तो GIFT Nifty आपके लिए एक तेज़ और लिक्विड विकल्प बन सकता है। बस रिस्क मैनेजमेंट को ना भूलें, मार्जिन का सही उपयोग करें और हर ट्रेड के बाद अपने परिणामों की समीक्षा करके सीखते रहें।
गांधीनगर के GIFT City में स्थित NSE International Exchange पर ट्रेड होने वाले GIFT Nifty डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स में मई में भारी गिरावट दर्ज की गई है। अप्रैल के $82 बिलियन के रिकॉर्ड के मुकाबले मई में टर्नओवर $44.24 बिलियन रहा। विशेषज्ञ इस गिरावट को विदेशी निवेशकों के भारी बिकवाली और चुनावी नतीजों के अनिश्चितता से जोड़ते हैं।