पेरिस ओलंपिक: भारतीय टेनिस स्टार सुमित नागल की पहले दौर में हार

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पेरिस ओलंपिक में सुमित नागल की हार

भारतीय टेनिस जगत के उभरते हुए सितारे सुमित नागल ने पेरिस ओलंपिक में अपने सफर की शुरुआत की, लेकिन पहले दौर में ही उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा। फ्रांस के कोरेंटिन माउटे के खिलाफ हुई इस रोमांचक मुकाबले में तीन सेटों के बाद नागल को हार का सामना करना पड़ा। माउटे ने इस मैच को 6-2, 4-6, 7-5 से अपने नाम किया।

कठिनाईयों से भरी रही शुरुआत

पहले सेट में सुमित नागल को माउटे ने काफी मुश्किल में डाला। माउटे की रणनीति और उनकी शानदार शॉट्स के सामने नागल के पास अधिक मौके नहीं थे। पहले सेट में नागल ने कड़ी मेहनत की, लेकिन अंत में माउटे ने 6-2 से सेट जीत लिया।

दूसरे सेट में नागल ने वापसी की कोशिश की और कुछ शानदार शॉट्स के जरिए सेट 4-6 से अपने नाम किया। इस सेट में नागल के सर्विस गेम में काफी सुधार नजर आया। लेकिन निर्णायक सेट में नागल की कुछ अनफोर्स्ड एरर ने उन्हें मुश्किल में डाल दिया।

निर्णायक लम्हें

फाइनल सेट में नागल ने शानदार शुरुआत की और 2-0 की बढ़त हासिल की, लेकिन उनकी इस बढ़त को माउटे ने जल्द ही खत्म कर दिया। माउटे ने अपने वर्सेटाइल खेल और बेहतर रणनीति के चलते इस सेट को 7-5 से जीत लिया।

माउटे ने अपने खेल में अंडरआर्म सर्विस, ड्रॉप शॉट्स और स्लाइस का बेहतर इस्तेमाल किया और नागल को उनकी शैली के खिलाफ खेलने के लिए मजबूर किया। नागल, जो आमतौर पर बेजोड़ बैसलाइन गेम के साथ खेलते हैं, इस बार माउटे की इस रणनीति के सामने टिक नहीं सके।

नगाल की प्रतिक्रिया

यह मुकाबला सुमित नागल के लिए एक और सीखने वाला अनुभव साबित हुआ। मैच के बाद नागल ने अपनी हार पर निराशा जताई। उन्होंने अपने खेल में कई अनफोर्स्ड एरर का जिक्र किया, जिनसे उन्हें नुकसान हुआ। नागल ने कहा कि वह आने वाले दिनों में अपनी गलतियों पर काम करेंगे और खुद को और बेहतर करेंगे।

नागल की यह ओलंपिक के दूसरे राउंड में हार थी। पिछली बार टोक्यो ओलंपिक में भी वह दूसरे राउंड में दानील मेदवेदेव के खिलाफ हार गए थे।

आगे की राह

कोरेंटिन माउटे की इस जीत के बाद, अब उनका मुकाबला ऑस्ट्रेलिया के विश्व नंबर छह एलेक्स दे मिनौर या जर्मनी के जान-लनार्ड स्ट्रफ से हो सकता है। दूसरी ओर, सुमित नागल को इस हार से सबक लेते हुए अपने खेल में सुधार करना होगा और अगले टूर्नामेंट्स में बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद जतानी होगी।

आखिरकार, भारतीय खेल प्रेमियों को उम्मीद है कि उनके पसंदीदा खिलाड़ी आगामी प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन करेंगे और देश का नाम रोशन करेंगे। पेरिस ओलंपिक में इस हार के बाद भी नागल के पास बहुत सारे मौके हैं और वे उन पर बेहतर तैयारी और आत्मविश्वास के साथ खरे उतरेंगे।

द्वारा लिखित Shiva Parikipandla

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूं और रोज़ाना भारत से संबंधित समाचार विषयों पर लिखना पसंद करती हूं। मेरा उद्देश्य लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है।

King Singh

सुमित नागल ने बहुत कुछ सिखाया है। ये मैच बस एक हार नहीं, बल्कि एक नए युग की शुरुआत है। अगली बार वो इसी जगह पर जीत का तिरंगा लहराएंगे।

Dev pitta

मैच तो बहुत अच्छा रहा। नागल ने दूसरे सेट में बहुत अच्छा खेला। अब बस थोड़ा और अभ्यास और आत्मविश्वास चाहिए। हम सब उनके साथ हैं।

praful akbari

क्या ये बस खेल की हार है या फिर हमारी एक नई पीढ़ी की ओर एक छोटी सी झलक? माउटे की रणनीति ने नागल को चुनौती दी, लेकिन नागल ने अपनी गहराई दिखाई। क्या हम इसे एक विफलता कहेंगे या एक नए रास्ते की शुरुआत?

जब एक खिलाड़ी ओलंपिक में तीन सेट में लड़ता है, तो उसकी हार भी एक जीत होती है। बस हमें उस जीत को पहचानना होगा।

हमारे खेलों में अक्सर जीत को ही नापते हैं, लेकिन क्या हमने कभी खेल के भाव को नापा है?

नागल की आंखों में जो चमक थी, वो जीत की नहीं, बल्कि सीखने की चाह थी।

हम तो उन्हें अभी तक नहीं जानते।

हम उनके नाम को जानते हैं, लेकिन उनकी आत्मा को नहीं।

क्या ये हार उनके लिए बहुत ज्यादा है? या हमारे लिए बहुत कम?

मैं चाहता हूं कि अगली बार जब वो वापस आएं, तो हम उन्हें न तो हीरो बनाएं, न ही असफल बनाएं।

बस एक इंसान के रूप में देखें।

जो खेलता है।

जो गिरता है।

और फिर उठता है।

kannagi kalai

बस एक बार फिर नागल ने दूसरे राउंड में हार दी। इतनी मेहनत के बाद भी? अच्छा है वो अभी तराश रहे हैं, वरना बाद में तो बहुत देर हो जाती।

Roy Roper

अनफोर्स्ड एरर्स ज्यादा थे बस इतना ही बात खत्म

Sandesh Gawade

अरे भाई ये तो बस शुरुआत है! नागल को देखो, वो बस अपने आप को नहीं, पूरे भारत को अपने ऊपर उठा रहा है। इस हार को गुस्सा में बदलो, आंसू में नहीं। अगले टूर्नामेंट में वो दुनिया को दिखा देगा कि भारतीय टेनिस क्या चाहता है।

मैं उसके लिए तैयार हूं। तुम भी हो?

MANOJ PAWAR

मैं तो बस इतना कहूंगा कि जब तक हम एक खिलाड़ी की हार को उसकी जीत के रूप में नहीं देखेंगे, तब तक हमारे खिलाड़ी हमेशा बाहर की तरफ देखते रहेंगे।

नागल ने अपनी जीत को बाहर नहीं, अंदर बनाया।

मैं उसकी आंखों में देख सकता हूं।

वो जानता है।

वो जानता है कि ये बस एक दौर है।

वो जानता है कि अगला दौर उसका होगा।

और हम जानते हैं कि वो वापस आएगा।

क्योंकि वो नागल है।

और नागल कभी हार नहीं मानता।

वो सिर्फ रुकता है।

और फिर और ज्यादा तेज दौड़ता है।

Pooja Tyagi

हां भाई, नागल को बहुत ताकत चाहिए थी! अनफोर्स्ड एरर्स तो बहुत हुए, और वो ड्रॉप शॉट्स के खिलाफ बिल्कुल अनप्रिपेयर्ड थे! ये तो बस ट्रेनिंग की कमी है! अगर वो अपने एक्सपर्ट ट्रेनर के साथ रिफ्लेक्टिव एनालिसिस करते, तो ऐसा नहीं होता! अब तो उन्हें एक न्यूरो-स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट की जरूरत है! ये बात तो सब जानते हैं, लेकिन कोई नहीं बोलता! ये भारतीय खेलों की समस्या है! बस फैन्स तो गुस्से में दौड़ते हैं, लेकिन रियल सॉल्यूशन कहाँ हैं?!

Kulraj Pooni

हार ने नागल को नहीं, बल्कि हमें सबक सिखाया।

हमने उसे बस एक खिलाड़ी बनाना था, न कि एक आदमी।

हमने उसकी आवाज़ नहीं सुनी, बस उसके स्कोर को देखा।

हमने उसकी थकान को नहीं देखा, बस उसकी जीत की उम्मीद की।

हम तो खुद को बहुत बड़ा समझते हैं।

लेकिन वो तो बस एक आदमी है, जो एक टेनिस बॉल के साथ अपनी जिंदगी लड़ रहा है।

और हम उसे बहुत ज्यादा अपेक्षाएं दे रहे हैं।

हम उसे अपनी नाराज़गी का बोझ उठा रहे हैं।

क्या हम उसे बचपन से लेकर अब तक के सारे दर्द को एक मैच में उतार रहे हैं?

अगर हम उसे इतना बोझ न दें, तो क्या वो इतना टूटता?

ये हार उसकी नहीं है।

ये हमारी है।