ओलंपिक समापन समारोह में मैनू भाकर संग पी आर श्रीजेश ध्वजवाहक

मिर्ची समाचार

भारतीय ध्वजवाहकों में एक नया नाम

भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने पेरिस ओलंपिक 2024 के समापन समारोह के लिए भारतीय दल के ध्वजवाहकों के रूप में पी आर श्रीजेश और मैनू भाकर का चयन किया है। यह निर्णय भारतीय हॉकी टीम के सनसनीखेज दूसरे लगातार कांस्य पदक जीतने के बाद लिया गया। इस चयन ने ना केवल खेल प्रेमियों बल्कि खिलाड़ियों के बीच भी खुशियों की लहर दौड़ाई है।

नीरज चोपड़ा की भूमिका

नीरज चोपड़ा, जो खुद ओलंपिक रजत पदक विजेता हैं, ने श्रीजेश को सह-ध्वजवाहक के रूप में खेल संघ से अनुशंसित किया। नीरज का मानना था कि श्रीजेश की यह उपलब्धि और उनके करियर की उपलब्धियों से यह सम्मान काफी उचित रहेगा। IOA अध्यक्ष पीटी उषा ने इस चयन को भावनात्मक और लोकप्रिय करार दिया, जो श्रीजेश की 18 सालों से अधिक की सेवा को मान्यता देता है।

मैनू भाकर का इतिहासिक प्रदर्शन

पेरिस ओलंपिक 2024 में मैनू भाकर ने दो पदक जीतकर इतिहास रचा। 23 वर्षीय इस पिस्टल शूटर ने महिला 10मी एयर पिस्टल और 10मी एयर पिस्टल मिक्स्ड टीम स्पर्धाओं में कांस्य पदक जीते। पीवी सिंधु के बाद मैनू दूसरी भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं जिसने एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने का गौरव हासिल किया।

श्रीजेश की महान यात्रा

पी आर श्रीजेश ने पेरिस 2024 के ओलंपिक के बाद अंतर्राष्ट्रीय हॉकी से सन्यास ले लिया। 18 वर्षों के अपने शानदार करियर में उन्होंने भारतीय हॉकी को ऊंचाइयों पर पहुँचाया। उनके नेतृत्व में भारतीय हॉकी टीम ने तमाम अभूतपूर्व सफलताएं हासिल कीं।

हॉकी प्रेमियों के बीच वह एक महानायक के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने कई ऐसे पल दिए हैं जो भारतीय खेल इतिहास में सदा अमर रहेंगे। पिछले साल हांगझो एशियाई खेलों में भी वे समापन समारोह के ध्वजवाहक थे, जिससे भारतीय हॉकी टीम को फख्र महसूस हुआ।

मिश्रित स्पोर्ट्स मनोबल

मिश्रित स्पोर्ट्स मनोबल

इस निर्णय ने दोनों खिलाडियों और भारतीय खेल प्रेमियों का मनोबल बढ़ाया है। मैनू भाकर और पीआर श्रीजेश का ध्वजवाहक बनना भारतीय खेल के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। यह इस बात को दर्शाता है कि टीमवर्क, समर्पण और मेहनत का फल सदैव मिलता है।

भविष्य की दिशा

पेरिस ओलंपिक 2024 ने भारतीय खिलाड़ियों के लिए नई संभावनाओं का द्वार खोला है। यह जीतें और ध्वजवाहक का सम्मान यह दर्शाता है कि भारतीय खेल क्षेत्र में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। आगे आने वाले वर्षों में, भारतीय खेल गांव से न केवल और ध्वजवाहक बल्कि अनेक पदक विजेता खिलाड़ी निकलेंगे।

मैनू भाकर और पी आर श्रीजेश का यह सम्मान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। भारतीय खेल प्रेमियों की उम्मीदें और ज्यादा बढ़ी हैं और सभी की नजरें पेरिस ओलंपिक 2024 के समापन समारोह पर टिकी रहेंगी।

नवजवानों के लिए प्रेरणा

यह निर्णय नवजवान खिलाडियों के लिए प्रेरणास्त्रोत साबित होगा। खेल में उनकी मेहनत और संघर्ष को यह सम्मान एक दिशा देगा और उन्हें भारतीय खेल के प्रति समर्पित रखेगा। यह दोनों ध्वजवाहक भारतीय खेल जगत के नायक रहेंगे।

इसे एक मील का पत्थर मानते हुए भारतीय ओलंपिक संघ ने व्यक्तिगत खेलों के साथ-साथ टीम खेलों को भी समान महत्व दिया है। अगले आने वाले खेलों में और भी कई नए चेहरे देखे जाएंगे, जो देश का नाम रोशन करेंगे।

समापन

समापन

भारतीय खेल का यह नया अध्याय मैनू भाकर और पी आर श्रीजेश के साथ खुला है, जो भारतीय ओलंपिक दल के लिए सुबह की नई किरण साबित हुए हैं। उनके ध्वजवाहक बनने से भारतीय खिलाड़ियों और नवयुवकों का मनोबल और ऊंचा हुआ है। नई पीढ़ी को इससे प्रेरणा मिलेगी और भारतीय खेल की दुनिया में नया जोश और उमंग आएगी।

द्वारा लिखित Shiva Parikipandla

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूं और रोज़ाना भारत से संबंधित समाचार विषयों पर लिखना पसंद करती हूं। मेरा उद्देश्य लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है।

Kulraj Pooni

ये सब नाम लेने का क्या मतलब? असली नायक तो वो हैं जो गांव के मिट्टी के खेल में लड़ते हैं, बिना कैमरे के, बिना सरकारी सम्मान के। श्रीजेश और मैनू तो बस टीवी के लिए बनाए गए प्रतीक हैं।

Hemant Saini

सच में ये एक ऐतिहासिक क्षण है। एक टीम खेल का ध्वजवाहक और एक व्यक्तिगत खेल की नायिका-ये सिर्फ सम्मान नहीं, ये भारत के खेल के दिल की धड़कन है। हॉकी की धूल और पिस्टल की आवाज़ एक ही ध्वज के नीचे आ गईं। ये देश का नया सपना है।

Nabamita Das

मैनू भाकर के लिए ये पदक तो बस शुरुआत है। उसने अभी तक एक भी गोल्ड नहीं जीता। अगर वो असली बड़ी खिलाड़ी है, तो 2028 में गोल्ड जीतकर दिखाएगी। अभी तक ये सिर्फ एक चमकीला बैज है।

chirag chhatbar

shreejesh ki kahani toh bahut acchi hai par kya ye sab sirf media ke liye hai? koi yaad hai kaise humne 2012 mein khel tha? ab toh har cheez ko viral banana hai. #fakepatriotism

Aman Sharma

इस चयन का क्या अर्थ है? नीरज चोपड़ा को ध्वजवाहक नहीं बनाया गया? ये निर्णय बिल्कुल भी तार्किक नहीं है। एक रजत पदक विजेता को छोड़कर दो कांस्य पदक विजेताओं को चुनना... ये तो भारतीय खेल प्रशासन की असमर्थता का प्रतीक है।

sunil kumar

ये चयन एक जीत है! टीमवर्क + लगन + अटूट इच्छाशक्ति = भारतीय खेल का भविष्य! श्रीजेश की लगातार 18 साल की अविश्राम निष्ठा और मैनू की शांत लेकिन भयानक निश्चयशक्ति-ये दोनों एक ही ध्वज के नीचे आ गए! ये नया आधार है, अब बच्चों को ये दिखाओ कि खेल में नाम नहीं, निष्ठा ही जीतती है! 🚀🏅

Arun Kumar

मैनू भाकर ने दो पदक जीते? बहुत बढ़िया। लेकिन उसके नाम के साथ श्रीजेश का नाम क्यों? श्रीजेश तो सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ये निर्णय बस भावनात्मक शोर है, न कि योग्यता पर आधारित। अगली बार गोल्ड विजेताओं को चुनो।

Snehal Patil

मैनू भाकर के बारे में सोचो... एक लड़की जिसने दो पदक जीते... और अब ध्वजवाहक? 😍🔥 लेकिन श्रीजेश? बस एक बूढ़े आदमी को फिर से निकाल दिया? ये तो बस टीवी के लिए बनाया गया ड्रामा है! 🙄💔

Vikash Yadav

ये दोनों असली हीरे हैं। श्रीजेश तो बस खेल का जिन्न है-हर गोल उसके लिए एक कविता थी। मैनू तो शांत बादल है जिसमें बिजली छिपी है। ये ध्वज नहीं, ये भारत की आत्मा है। अब चलो घर पर बैठकर बियर पीते हुए उनका गाना गाएं। 🎶🇮🇳

sivagami priya

मैनू भाकर के लिए ये सिर्फ एक शुरुआत है! उसकी मेहनत, उसकी आंखों में चमक, उसका जुनून-ये सब कुछ देश को दिखा रहा है कि लड़कियां भी बन सकती हैं असली नायक! 🌟💪 श्रीजेश के साथ ये ध्वज लहराना बहुत खूबसूरत है! भारत का दिल दो दिलों से धड़क रहा है!

Anuj Poudel

क्या कभी सोचा है कि इस चयन के पीछे का तर्क क्या है? टीम खेल और व्यक्तिगत खेल का समान सम्मान? ये निर्णय असल में भारतीय खेल प्रशासन की एक नई दिशा को दर्शाता है-जहां न केवल पदक, बल्कि समर्पण और लगन को मान्यता मिलती है। ये बहुत बड़ी बात है।

Aishwarya George

ये चयन बिल्कुल उचित है। श्रीजेश के लिए ये सम्मान उनके 18 साल के अथक परिश्रम का प्रतिफल है। मैनू भाकर के लिए ये भारतीय महिला खिलाड़ियों के लिए एक ऐतिहासिक पल है। ये दोनों अलग-अलग खेलों से आए हैं, लेकिन एक ही भारत के लिए। ये भारत की विविधता का प्रतीक है।

Aman Sharma

तो अब नीरज चोपड़ा को बस एक बैकग्राउंड चरित्र बना दिया गया? ये निर्णय बिल्कुल भी न्यायसंगत नहीं है। ये तो एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाया गया सिनेमा है।