अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का फैसला किया, शराब नीति विवाद के बीच

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अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा: राजनीतिक दुनियां में हलचल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शराब नीति केस में आरोपित होने के बाद अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला कर लिया है। यह फैसला उन्होंने जेल में रहते हुए ही लिया था। बावजूद इसके, उन्होंने अपनी रिहाई से पहले किसी भी तरह की घोषणा नहीं की। 'आम आदमी पार्टी' के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी के समय ही इस्तीफा देने का मन बना लिया था। परंतु, उन्होंने फैसला किया कि जब तक वे जेल में रहेंगे, तब तक वह इस्तीफा नहीं देंगे।

केजरीवाल ने अपनी पार्टी के बड़े नेताओं को पहले ही इस फैसले के बारे में जानकारी दे दी थी ताकि पारदर्शिता बनी रहे। 13 सितंबर को तिहाड़ जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद, उन्होंने अपनी मंशा जाहिर कर दी कि वह अगले दो दिनों में इस्तीफा देंगे और दिल्ली में जल्द चुनाव के लिए मांग करेंगे। उन्होंने वचन दिया कि जनता से 'इमानदारी का प्रमाणपत्र' मिलने तक वह मुख्यमंत्री पद नहीं ग्रहण करेंगे।

भाजपा का प्रतिक्रिया

भाजपा ने केजरीवाल के इस कदम को 'भावनात्मक कार्ड' और अपराध की स्वीकारोक्ति बताया है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि केजरीवाल का इस्तीफा देने का निर्णय उनके अपराध को स्वीकार करने के समान है।

त्रिवेदी ने कहा कि केजरीवाल का यह कदम न केवल उनकी पार्टी के भविष्य को ध्यान में रखते हुए है, बल्कि यह दिल्ली की जनता के प्रति उनके अधिकार के गंभीरता का भी सूचक है। भाजपा ने कहा कि यह कदम पार्टी की प्रतिष्ठा को बचाने के लिए उठाया गया है क्योंकि शराब नीति केस में लगे आरोप गंभीर हैं।

अगले कदम और चुनाव

रिहाई के तुरंत बाद, केजरीवाल ने पार्टी के सदस्यों और जनता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में जल्द चुनाव होंगे और जब तक वह जनता से इमानदारी का प्रमाणपत्र नहीं प्राप्त कर लेते, तब तक वह मुख्यमंत्री पद नहीं ग्रहण करेंगे।

केजरीवाल की रिहाई के बाद पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच बैठकें हो रही हैं ताकि इस्तीफे के बाद की रणनीति बनाई जा सके। पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि केजरीवाल का यह कदम जनता के बीच उनके प्रति विश्वास को और मजबूत करेगा।

गौरतलब है कि 15 दिनों के अंदर केजरीवाल मुख्यमंत्री का सरकारी आवास छोड़ देंगे। इसके बाद उनका अगला कदम क्या होगा, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

शराब नीति केस का मुद्दा

शराब नीति केस का मुद्दा

शराब नीति केस में अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अवैध शराब व्यापार को प्रोत्साहित किया। यह मामला तब और पेचीदा हो गया जब केजरीवाल पर आर्थिक अनियमितताओं के आरोप भी लगे। जिनमें उनके द्वारा पारदर्शी तरीकों का पालन न करने और नियमों का उल्लंघन करने की बातें शामिल थीं।

मामला तेज़ी से आगे बढ़ा और अंततः केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई। तिहाड़ जेल में रहने के दौरान, उन्होंने अपनी पार्दर्शिता और ईमानदारी को जनता के सामने प्रस्तुत करने का निर्णय लिया।

क्या कहती है 'आम आदमी पार्टी'

'आम आदमी पार्टी' के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी और रिहाई के बाद पार्टी के इमानदार छवि को कायम रखने के लिए यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पार्टी का मानना है कि यह कदम न केवल जनता के विश्वास को बहाल करेगा, बल्कि पार्टी की छवि को भी और बेहतर बनाएगा।

पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि केजरीवाल का यह निर्णय उनके उच्च आदर्श और नैतिकता का प्रतीक है। उन्होंने पार्टी के हित को सबसे अधिक महत्व दिया और अपने पद का मोह त्याग दिया।

जनता की प्रतिक्रियाएं

दिल्ली की जनता ने इस मुद्दे पर विभाजनकारी प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ लोगों का मानना है कि केजरीवाल का इस्तीफा देना उनके अपराध को स्वीकार करने के बराबर है, जबकि अन्य लोग इसे उनके पारदर्शिता और ईमानदारी का प्रतीक मान रहे हैं।

कई लोगों का मानना है कि केजरीवाल का यह कदम राजनीति में स्वच्छता लाने का प्रयास है और इससे जनता का विश्वास कायम रहेगा। वहीं, कुछ लोगों ने उनकी निंदा करते हुए कहा कि यह केवल एक राजनीतिक नौटंकी है।

अगले मुख्यंत्री की तलाश

अगले मुख्यंत्री की तलाश

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि केजरीवाल के इस्तीफे के बाद दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। 'आम आदमी पार्टी' के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी के भीतर ही नए नेता की तलाश शुरू हो चुकी है। नेताओं की एक लम्बी सूची है जो इस पद के लिए उपयुक्त माने जा रहे हैं।

  • मनीष सिसोदिया
  • सत्येन्द्र जैन
  • गोपाल राय
  • आतिशी मार्लिना

इन नेताओं का नाम लिया जा रहा है जिनमें से कोई भी दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री पद के लिए उपयुक्त हो सकते हैं। पार्टी की आगामी बैठक में इस पर विचार किया जाएगा और जल्दी ही नए मुख्यमंत्री का नाम घोषित किया जाएगा।

यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनावों में दिल्ली की जनता 'आम आदमी पार्टी' को कितना समर्थन देती है और केजरीवाल के बिना पार्टी का भविष्य क्या होता है।

द्वारा लिखित Shiva Parikipandla

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूं और रोज़ाना भारत से संबंधित समाचार विषयों पर लिखना पसंद करती हूं। मेरा उद्देश्य लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है।

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sivagami priya

ये तो बस एक नए अध्याय की शुरुआत है! केजरीवाल ने जो किया, वो असली नेता का लक्षण है। जेल में भी इमानदारी बरकरार रखी, ये देखकर दिल भर गया।

Anuj Poudel

अगर ये इस्तीफा अपराध स्वीकार करने का मतलब है, तो हर जिसने अपना घर छोड़ दिया भी अपराधी हो जाएगा? बस एक नियम के खिलाफ एक निर्णय है, और उसके बाद जनता को फैसला करना है।

Aishwarya George

केजरीवाल का ये कदम न सिर्फ राजनीति में, बल्कि सामाजिक नैतिकता के लिए एक मानक स्थापित करता है। जब तक जनता का विश्वास नहीं मिलता, तब तक पद नहीं लेना-ये तो असली नेतृत्व है। अगर हर नेता ऐसा करता, तो देश आज बहुत अलग होता।

Vikky Kumar

यह सिर्फ एक राजनीतिक नाटक है। जेल में बैठकर इस्तीफा देना और फिर वापस आने की योजना बनाना-ये तो बिल्कुल धोखेबाजी है। आप अपराधी हैं, इस्तीफा देने से नहीं बच सकते।

manivannan R

bro, ye sab politics ka game hai. kya pata kisne kya socha tha? lekin ek baat sach hai-jisko bhi vote de raha hai, uski soch alag hai. kuch log kehte hain 'hero', kuch kehte hain 'fraud'.

Uday Rau

हिंदुस्तान में जब तक नेता जेल में जाकर भी अपनी इमानदारी का दावा नहीं करते, तब तक ये देश बदलेगा नहीं। केजरीवाल ने एक नया रंग दिखाया-एक ऐसा रंग जो बिना शोर के भी दिल को छू जाता है। अब देखना है कि जनता इस रंग को कैसे समझती है।

sonu verma

मैं नहीं जानता कि वो गुनहगार हैं या नहीं... लेकिन जो इमानदारी से अपना पद छोड़ देते हैं, वो अभी भी हमारे लिए एक उदाहरण हैं। बस एक बार भी इस तरह का कोई नेता देखा है? 🤔

Siddharth Varma

kya yeh sach mein imandari hai ya bas ek tactic? kuch log kehte hain ye sab kuch bana kar dikhaya ja raha hai. koi bata sakta hai?

chayan segupta

भाई, अगर ये इस्तीफा देने के बाद वापस आ जाएगा तो क्या ये भी एक तरह का चुनावी रणनीति है? लेकिन जो भी हो, इस बार तो वो बिना बोले अपना नाम छुपा लिया। अच्छा किया!

King Singh

इस्तीफा देना आसान नहीं होता। बहुत से लोग बिना गिरफ्तार हुए भी पद नहीं छोड़ते। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को समझा है। इसलिए मैं उनका समर्थन करता हूँ।

Dev pitta

अगर वो गुनहगार हैं, तो न्याय होगा। अगर नहीं, तो जनता उन्हें वापस ले आएगी। बस इतना ही। बाकी सब बहस है।

praful akbari

इमानदारी का प्रमाणपत्र... ये शब्द आज के राजनीति में अजीब लगता है। लेकिन ये बात सच है-हम सब इसकी तलाश में हैं।

kannagi kalai

मुझे लगता है ये सब बहुत ज्यादा नाटक है। बस इतना ही।

Roy Roper

इस्तीफा देने से कोई बात नहीं हो जाती। गिरफ्तारी और फिर इस्तीफा-ये सब एक चाल है।

Sandesh Gawade

अरे भाई, ये तो जीत की रणनीति है! जेल में बैठकर इमानदार बनने का नाटक करके जनता को भावुक कर दिया। अब चुनाव में वो वापस आएंगे और सबको चौंका देंगे। ये तो बड़ा खेल है!

MANOJ PAWAR

जब एक नेता जेल में बैठकर भी अपनी इमानदारी का दावा करता है, तो उसकी आत्मा का एक टुकड़ा हम सबके दिल में बस जाता है। ये नहीं कि वो सही हैं... बल्कि ये कि वो अपनी आत्मा को देखने की हिम्मत करते हैं।

Pooja Tyagi

इस्तीफा देने के बाद भी अगर वो वापस आएंगे तो ये बस एक धोखा है! जनता को भावुक बनाने के लिए ये सब नाटक है। और अब तो ये बताओ कि अगले मुख्यमंत्री कौन होगा? मनीष सिसोदिया? वो तो अभी भी जेल में है! ये सब बेकार की बहस है।