पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन: 80 वर्ष की आयु में विदाई
बुद्धदेव भट्टाचार्य: एक महान नेता का अंत
पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ सीपीआई(एम) नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य का 8 अगस्त, 2024 को 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका पूरा जीवन संघर्ष और सियासी जिम्मेदारियों में व्यतीत हुआ। भट्टाचार्य का जन्म 1 मार्च, 1944 को कोलकाता में हुआ था। उन्होंने 1966 में सीपीआई(एम) में शामिल होकर अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की और जल्द ही पार्टी के प्रमुख चेहरों में गिने जाने लगे।
भट्टाचार्य अपने मुख्य कार्यकाल के दौरान पश्चिम बंगाल के औद्योगिक विकास के लिए प्रयासरत रहे। उन्होंने राज्य के 7वें मुख्यमंत्री के रूप में 2000 से 2011 तक सेवा की। उनके कार्यकाल के दौरान पश्चिम बंगाल ने आर्थिक और औद्योगिक विकास की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनके उद्योग समर्थक नीतियों ने राज्य में कई बड़े प्रोजेक्ट्स को लाने में मदद की, जिनमें टाटा नैनो मैन्युफैक्चरिंग प्लांट और जिंदल समूह का स्टील प्लांट प्रमुख थे।
भट्टाचार्य का राजनीतिक सफर
भट्टाचार्य का राजनीतिक सफर 1966 में सीपीआई(एम) में शामिल होकर शुरू हुआ। उन्होंने 1968 में फ़ूड मूवमेंट और वियतनाम युद्ध के समर्थन में भाग लिया। बाद में वह काशीपुर-बेलगाछिया और जादवपुर में विधायक रहे। उन्होंने सूचना और जनसम्पर्क मंत्री के रूप में भी सेवा की। 2000 में ज्योति बसु के बाद मुख्यमंत्री पद संभाला और 2001 तथा 2006 के विधानसभा चुनावों में सीपीआई(एम) के नेतृत्व में लेफ्ट फ्रंट को जीत दिलाई।
हालांकि, उनके कार्यकाल के दौरान भूमि अधिग्रहण को लेकर कई महत्वपूर्ण आंदोलन हुए, जिनमें नंदीग्राम और सिंगूर के आंदोलन प्रमुख थे। इन आंदोलनों में हिंसा और विरोध प्रदर्शन के कारण उनकी सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। इसी के परिणामस्वरूप, 2011 के चुनाव में सीपीआई(एम) को हार का सामना करना पड़ा और तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आई।
व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य
भट्टाचार्य का व्यक्तिगत जीवन भी सादगीपूर्ण था। उनकी पत्नी मीरा और बेटी सुचेता उनके परिवार का हिस्सा हैं। अपने जीवन के अंतिम समय में वह क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से पीड़ित थे। 80 वर्ष की आयु में उनका निधन भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति है।
राजनीतिक दलों की श्रद्धांजलि
बुद्धदेव के निधन पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने शोक व्यक्त किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने व्यक्तिगत और शासकीय स्तर पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
उनका निधन राजनीति में एक युग की समाप्ति है। भारतीय राजनीति और विशेषत: पश्चिम बंगाल की राजनीति में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। अपने आधुनिक दृष्टिकोण और विकासशील नीतियों के कारण वह हमेशा इतिहास में स्थान पाएंगे। उनके निधन के बाद, देश भर में शोक की लहर है और उनके प्रति आभार व्यक्त किया जा रहा है।
इस महान नेता की यादें और उनके द्वारा किए गए कार्य सदैव हमारे हृदय में बने रहेंगे।
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