NEET-UG 2024: री-एग्जाम में उम्मीदवारों की कम भागीदारी पर चिंता

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NEET-UG 2024 री-एग्जाम में उम्मीदवारों की कम उपस्थिति

NEET-UG 2024 के री-एग्जाम के परिणाम चौंकाने वाले हैं। कुल 1563 योग्य उम्मीदवारों में से केवल 813 उम्मीदवार ही परीक्षा देने पहुंचे। यह दर्शाता है कि ज्यादातर छात्र री-एग्जाम में उपस्थित नहीं हो पाए।

चंडीगढ़ में अनुपस्थिति

चंडीगढ़ में केवल दो उम्मीदवार री-एग्जाम के लिए पात्र थे, लेकिन इनमें से कोई भी परीक्षा देने नहीं पहुंचा। यह शहर के स्तर पर उपस्थिति को लेकर चिंता का विषय बना हुआ है।

छत्तीसगढ़ की स्थिति

छत्तीसगढ़ में 602 योग्य उम्मीदवारों में से 291 ने परीक्षा दी, जो सिर्फ 48.34 प्रतिशत उपस्थिति है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि छात्रों में री-एग्जाम को लेकर रूचि में भारी कमी है।

हरियाणा में उपस्थिति

हरियाणा में उपस्थित छात्रों का आंकड़ा भी बहुत कम है। 494 योग्य उम्मीदवारों में से केवल 287 ने परीक्षा दी, जो लगभग 58 प्रतिशत है।

मेघालय में उपस्थिति

मेघालय में लगभग 50.43 प्रतिशत छात्र ही री-एग्जाम में उपस्थित हुए, जिससे यह साफ जाहिर हो रहा है कि उपस्थिति का स्तर यहां भी कम है।

गुजरात में इकलौता उम्मीदवार

गुजरात में केवल एक ही उम्मीदवार री-एग्जाम के लिए पात्र था और उसने परीक्षा दी।

यह री-एग्जाम राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें छात्रों की कम उपस्थिति एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनकर सामने आई है। इस परस्पर विरोधाभास की वजह समझने की जरूरत है कि आखिर क्यों छात्र री-एग्जाम में कम रुचि दिखा रहे हैं।

री-एग्जाम का महत्व

री-एग्जाम का महत्व

री-एग्जाम छात्रों के लिए एक दूसरा मौका होता है, जिसमें वे अपनी पिछली गलतियों को सुधार सकते हैं और अपने अंकों में सुधार कर सकते हैं। लेकिन इस बार आंकड़े कहते हैं कि विद्यार्थियों में इसे लेकर उत्साह की कमी है।

छात्रों के विचार

कई छात्र री-एग्जाम का विरोध कर रहे हैं क्योंकि वे पहले से ही काफी मानसिक दबाव में हैं। कुछ का मानना है कि जब वे पहली बार परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके, तो दूसरी बार यह और भी कठिन हो सकता है।

संभव कारण

री-एग्जाम में कम उपस्थिति के कुछ संभावित कारणों में शामिल हैं: मानसिक दबाव, तयारी का अभाव, परीक्षा का डर, और पहले प्रयास में असफलता का असर। छात्रों और अभिभावकों को यह समझना आवश्यक है कि री-एग्जाम उनके लिए सकारात्मक अवसर हैं।

NTA को भी इस विषय पर ध्यान देना चाहिए और छात्रों को री-एग्जाम के महत्व और इसके फायदों से अवगत कराना चाहिए।

द्वारा लिखित Shiva Parikipandla

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूं और रोज़ाना भारत से संबंधित समाचार विषयों पर लिखना पसंद करती हूं। मेरा उद्देश्य लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है।

King Singh

री-एग्जाम में इतनी कम भागीदारी का मतलब ये नहीं कि छात्र आलसी हैं। बल्कि ये दर्शाता है कि उनके अंदर विश्वास का अभाव है। एक बार फेल हो गए तो दूसरी बार भी फेल हो जाएंगे, ऐसा डर बन गया है।

Dev pitta

मैंने अपने भाई को देखा है। वो तीन महीने तक तैयारी करता रहा, फिर भी पहली बार अच्छा नहीं हुआ। दूसरी बार के लिए उसका मन ही नहीं बना। डर लगता है, और लगता है कि फिर से उसी तरह फेल हो जाएंगे।

praful akbari

क्या हम ये भूल रहे हैं कि NEET एक जीवन बदलने वाली परीक्षा है? जब एक बार असफलता मिल जाती है, तो दिमाग बस बंद हो जाता है। री-एग्जाम का मतलब है दूसरा मौका, न कि दूसरा दर्द।

kannagi kalai

क्यों नहीं देखा जाता कि छात्रों के पास पैसे, समय और ऊर्जा नहीं है? एक बार फेल हो गए तो फिर से फीस देना है, फिर से तैयारी करनी है। कौन बनता है इसका बोझ?

Roy Roper

ये सब बहाने हैं बस। जो चाहता है वो आएगा। जो नहीं चाहता वो बस बचने के तरीके ढूंढ रहा है।

Sandesh Gawade

अरे भाई, ये सब बहाने छोड़ो! अगर तुम्हारे लिए डॉक्टर बनना जिंदगी का सपना है तो दूसरी बार भी जाओ! नहीं तो अपने आप को ढूंढो, ये जिंदगी नहीं टेस्ट है!

MANOJ PAWAR

मैंने अपने दोस्त को देखा है, जिसने एक बार फेल होकर दूसरी बार टॉप कर लिया। उसका मन तो बंद हो गया था, लेकिन उसने अपने आप को फिर से जगाया। आज वो एमबीबीएस कर रहा है।

Pooja Tyagi

री-एग्जाम को लेकर इतनी चिंता क्यों? अगर ये इतना आसान है तो फिर एक बार में क्यों नहीं निकल रहे? ये सब बहाने हैं! अगर आपको डॉक्टर बनना है, तो तैयार हो जाओ, बस! और NTA को भी इतना ध्यान देने की जरूरत नहीं, बस एक बार अच्छा परीक्षा दें!

Kulraj Pooni

ये सब छात्रों की जिम्मेदारी है? नहीं! ये सिस्टम की जिम्मेदारी है! जब एक बार फेल हो जाते हैं, तो उन्हें कोई सलाह नहीं देता, कोई मानसिक समर्थन नहीं देता, बस एक नंबर दिखा देता है। फिर ये कहते हैं कि उनकी इच्छा कम है!

Hemant Saini

मुझे लगता है कि री-एग्जाम का मतलब बदल गया है। अब ये एक अवसर नहीं, बल्कि एक अतिरिक्त बोझ बन गया है। छात्रों को लगता है कि उन्हें दो बार जीतना है, न कि एक बार जीतना है। और जब आप दो बार जीतने की उम्मीद करते हैं, तो दर्द भी दोगुना हो जाता है।

Nabamita Das

री-एग्जाम की तैयारी के लिए अलग से कोचिंग नहीं है, अलग से समर्थन नहीं है। छात्रों को बस बताया जाता है कि फिर से दें। ये कैसा समर्थन है? ये तो निराशा का नाम है।

chirag chhatbar

बस एक बार दे देते तो बस! दूसरी बार देने का मतलब ही नहीं है। अगर तुम नहीं बन पाए तो बस दूसरा करियर चुन लो। NEET जिंदगी नहीं है।