मिथुन मानहास बिना विरोध के बीसीसीआई के 37वें अध्यक्ष बने

जब Mithun Manhas, पूर्व घरेलू क्रिकेट का दिग्गज, बिना किसी प्रतिद्वंद्वी के भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) के 37वें अध्यक्ष बने, तो पूरी क्रिकेट परिदृश्य में हलचल पैदा हुई। इस बदलाव के साथ Roger Binny ने अपना कार्यकाल समाप्त किया। घोषणा नई दिल्ली में 28 सितंबर 2025 को हुई, जहाँ Rajeev Shukla ने स्वयं को उपाध्यक्ष घोषित किया और Devajit Saikiya को एक प्रमुख पद पर नियुक्त किया। यह BCCI राष्ट्रपति चुनाव 2025नई दिल्ली भारतीय क्रिकेट के प्रबंधन में एक नया अध्याय खोलता है।
पृष्ठभूमि: बीसीसीआई में नेतृत्व का इतिहास
बीसीसीआई का नेतृत्व हमेशा से विवादों और दिग्गज खिलाड़ियों के पहलुओं से जुड़ा रहा है। 2014 में Sourav Ganguly के राजतिलक से लेकर 2020 में Anurag Thakur तक, हर अध्यक्ष ने अपने दृष्टिकोण से बोर्ड को मोड़ दिया।
रॉजर्स बिनी का दो‑वर्षीय कार्यकाल 2023‑2025 में कई चुनौतियों से घिरा था – आईपीएल टेबल ‘ग्लोबल साइड्स’ का विस्तार, महिला क्रिकेट में निवेश की कमी, और घरेलू टूर्नामेंटों के पुनर्संगठन की माँग।
विवरण: चुनाव के दौरान क्या हुआ?
ऐसे माहौल में, जहाँ कई संदेहास्पद नाम सामने आ रहे थे, मिथुन मानहास का नाम सबसे पहले सामने आया। उनका दावे का मुख्य कारण था उनका खेल‑प्रशासनिक अनुभव – उन्होंने दो‑दशक तक हरियाणा, उत्तराखंड और कर्नाटक की टीमों को नेतृत्व किया था।
राजीव शुक्ला, जो पहले वीराव राव के इंटरनेशनल एअरलाइंस में बोर्ड के सदस्य रहे थे, ने मीडिया को बताया, "मैं उपाध्यक्ष बनना चाहता हूँ ताकि हम नई रणनीतियों को तेज़ी से लागू कर सकें।"
- 28 सितंबर 2025 को घोषणा हुई
- कोई विपक्षी नहीं – मानहास बिन्य के बाद पहले एकल‑वोट के साथ अध्यक्ष बने
- राजीव शुक्ला उपाध्यक्ष, डिवजित सैकिया को नई समिति में सदस्य नियुक्त किया गया
- भविष्य की प्रमुख समितियों में बदलाव का प्रस्ताव रखा गया
डिवजित सैकिया के लिए भूमिका अभी भी अस्पष्ट है, परंतु अंदरूनी सूत्रों के अनुसार वह "डिजिटल इंटेग्रेशन कमेटी" के प्रमुख बनने की संभावना रखते हैं।
विभिन्न पक्षों की प्रतिक्रियाएँ
खेल विश्लेषकों ने इस बदलाव को दो‑ढाल वाली कहा। एक ओर, पुराने खिलाड़ी मानहास को "सख्त, लेकिन समझदार" करिश्मा मानते हैं, जबकि कुछ टी‑20 फ्रैंचाइज़ियों ने कहा कि "उन्हें घरेलू संरचना में सुधार चाहिए, नहीं तो युवा टैलेंट का नुख़सान होगा"।
दूसरी ओर, महिला क्रिकेट संघ ने आशावादी स्वर में कहा, "उम्मीद है कि नई अध्यक्ष मंडली में महिला क्रिकेट के लिए अधिक फंडिंग होगी"। इन बातों को सुनकर जनजागरण मंच पर भी बहस छिड़ गई – कुछ लोग कहते हैं कि "बोर्ड को अब 'राजनीति' से हटकर खेल पर ध्यान देना चाहिए"।

भविष्य पर संभावित असर
विशेषज्ञों के अनुसार, मानहास के नेतृत्व में बीसीसीआई की प्राथमिकताएँ तीन मुख्य क्षेत्रों में हो सकती हैं:
- डोमेस्टिक लीग पुनर्संरचना – वर्तमान में 27 टीमों की प्रतिस्पर्धा को दो पूल में बाँटने की बात है।
- डिजिटल ट्रांसफ़ॉर्मेशन – एआई‑आधारित खिलाड़ी चयन प्रणाली को लागू करना।
- बुनियादी ढाँचा निवेश – ग्रामीण क्षेत्रों में 50 नई मैदानों का निर्माण।
यदि इन योजनाओं को सही ढंग से लागू किया गया तो अगले पाँच साल में भारतीय क्रिकेट की विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हो सकता है।
आगे क्या उम्मीद करें?
अगले दो महीने में बीसीसीआई का नया कार्यकाल शुरू होगा, जिसमें पहली मीटिंग के दौरान नई कमेटी संरचना को औपचारिक रूप से स्वीकृति मिलेगी। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय कैलेंडर की पुष्टि भी इन महीनों में होगी, जिससे इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की नई सत्र की तिथियां तय होंगी।
रॉजर्स बिनी के प्रवचन के अनुसार, "मैं फिर भी बोर्ड के हित में मदद करने के लिए उपलब्ध रहूँगा" – यह संकेत देता है कि पिनाबार पर उनका प्रभाव अभी खत्म नहीं हुआ।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
मिथुन मानहास के अध्यक्ष बने का मुख्य कारण क्या था?
उनके 20‑वर्षीय घरेलू क्रिकेट के अनुभव, टीम‑लीडरशिप और पूर्व बोर्ड सदस्यता को देखते हुए कई संकल्पना केयरटेकर्स ने उन्हें सबसे उपयुक्त उम्मीदवार माना।
रॉजर्स बिनी ने क्यों पदत्याग किया?
बिनी ने कहा कि उन्होंने दो साल में बोर्ड को स्थिरता प्रदान करने के बाद नई ऊर्जा को जगह देना बेहतर रहेगा। इसके अलावा, कुछ राजनीतिक दबावों ने भी इस निर्णय को प्रभावित किया।
राजीव शुक्ला उपाध्यक्ष बनकर क्या करेंगे?
शुक्ला ने कहा कि वह "डिजिटल इंटीग्रेशन" और "राजस्व वृद्धि" पर फोकस करेंगे, जिससे बीसीसीआई की वित्तीय स्थिति मजबूत हो और युवा टैलेंट को बेहतर मंच मिले।
डिवजित सैकिया की नई भूमिका क्या है?
स्रोतों के अनुसार, वे "डिजिटल इंटेग्रेशन कमेटी" के प्रमुख बनेंगे, जो एआई‑आधारित चयन प्रणाली और डेटा‑ड्रिवेन निर्णय‑लेने के लिए ज़िम्मेदार होगी।
भविष्य में भारत की घरेलू क्रिकेट संरचना में क्या बदलाव आएंगे?
नयी समिति ने कहा है कि अगले सीज़न में टूरनमेंट को दो पूल में बाँटा जाएगा, जिससे छोटे रेज़नल टीमों को अधिक खेल का मौका मिलेगा और कुल मिलाकर प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
Balaji Srinivasan
मिथुन मानहास का प्रगतिशील दृष्टिकोण बसी में नई ऊर्जा लाएगा।