सेबी ने हिन्डनबर्ग पर कसे शिकंजा, देखें सोमवार को बाजार की प्रतिक्रिया

मिर्ची समाचार

सेबी ने हिन्डनबर्ग रिसर्च को निशाने पर लिया, अदानी समूह पर लगाए गंभीर आरोप

भारतीय सेक्युरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड (सेबी) ने अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी, हिन्डनबर्ग रिसर्च को एक नोटिस भेजा है, जिसमें अदानी समूह के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं। सेबी के अनुसार, हिन्डनबर्ग ने अपने रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से पहले किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट, एक एसेट मैनेजर, के साथ मिलीभगत की थी। इसके अनुसार, किंगडन ने भारतीय शेयर बाजार के तहत अदानी समूह के स्टॉक्स में शॉर्ट पोजीशन ली। हिन्डनबर्ग ने इन आरोपों को बकवास करार दिया है।

आरोपों की जड़ में हिन्डनबर्ग रिसर्च

सेबी के नोटिस में आरोप लगाया गया है कि हिन्डनबर्ग ने अपने ड्राफ्ट रिपोर्ट को किंगडन कैपिटल के साथ साझा किया था ताकि वे अदानी समूह के स्टॉक्स में शॉर्ट पोजीशन ले सकें। कहा जाता है कि किंगडन ने इससे पहले एक निवेश कोष स्थापित किया था जो भारतीय शेयरों में कारोबार कर रहा था और अदानी समूह के शेयरों को शॉर्ट कर रहा था। इसके साथ ही, सेबी का भी दावा है कि हिन्डनबर्ग ने अदानी के शॉर्ट पोजीशन से $4.1 मिलियन की सकल आय और अदानी के अमेरिकी बॉन्ड्स से $31,000 का लाभ कमाया है।

हिन्डनबर्ग ने इन आरोपों का जोरदार खंडन किया है और कहा है कि सेबी अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रही है और निवेशकों की सुरक्षा के बजाय धोखाधड़ी में संलिप्त लोगों की रक्षा कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और सेबी की जांच

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को अदानी समूह के खिलाफ हिन्डनबर्ग रिसर्च के आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया है। अदालत ने चुनाव परिणामों के बाद बाजार में आई गिरावट और निवेशकों को हुए नुकसान पर भी जांच करने का निर्देश दिया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने एक तीसरे पक्ष की जांच की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है और सेबी के संपूर्ण जांच पर भरोसा जताया है।

सेबी ने अदानी समूह के खिलाफ 24 में से 22 जांच पूरी कर ली है और बाकी दो जांचों को तीन महीने के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा है।

हिन्डनबर्ग के आरोप और बाजार में चिंता

हिन्डनबर्ग रिसर्च ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि इसके शोध को कई स्वतंत्र मीडिया जांचों से समर्थन मिला है जो अदानी समूह की प्रथाओं के खिलाफ विभिन्न चिंताओं को उजागर करती हैं।

हिन्डनबर्ग का दावा है कि उसके शोध ने अदानी समूह के कई विनियामक और नैतिक मुद्दों को उजागर किया है, जिनके बारे में पहले से जाना नहीं गया था। इसमें कंपनी का जटिल कॉर्पोरेट संरचना, अपारदर्शिता, और बाजार में हेरफेर जैसे मुद्दे शामिल हैं।

सोमवार को बाजार की प्रतिक्रिया को बड़े ध्यान से देखा जाएगा। बाजार सहभागियों के बीच इस मामले को लेकर विपरीत प्रतिक्रियाओं की संभावना है। कुछ निवेशक जो हिन्डनबर्ग के शोध को सही मानते हैं, वे अपने निवेश संबंधी निर्णयों पर पुनर्विचार कर सकते हैं। इसके विपरीत, कुछ निवेशक सेबी की जांच और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को विश्वसनीय मान सकते हैं और अपने निवेशों में धैर्य बनाकर रख सकते हैं।

इस पूरे विवाद को समझना और इसके प्रभाव का विश्लेषण करना बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सिर्फ अदानी समूह और हिन्डनबर्ग के बीच के मामले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय शेयर बाजार के व्यापक परिप्रेक्ष्य पर भी प्रभाव डाल सकता है। आने वाले समय में, सेबी की राय और जांच रिपोर्ट पर विस्तृत ध्यान दिया जाएगा, और इससे एक व्यापक निष्कर्ष पर पहुंचने का प्रयास किया जाएगा।

द्वारा लिखित Shiva Parikipandla

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूं और रोज़ाना भारत से संबंधित समाचार विषयों पर लिखना पसंद करती हूं। मेरा उद्देश्य लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है।

Aishwarya George

सेबी का ये नोटिस एक बड़ा मोड़ है। हिन्डनबर्ग की रिपोर्ट में कई बातें सच लगती हैं, लेकिन अगर उन्होंने किंगडन के साथ मिलीभगत की है, तो उनकी वैधता खतरे में पड़ जाती है। इस तरह के मामलों में प्रक्रिया सबसे महत्वपूर्ण है।

Vikky Kumar

यह सिर्फ एक शॉर्ट सेलिंग का मामला नहीं है। यह भारतीय बाजार के नियामक ढांचे के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र है। हिन्डनबर्ग एक विदेशी कंपनी है जो भारत के आर्थिक स्थिरता को नष्ट करने की कोशिश कर रही है। सेबी को इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे के रूप में लेना चाहिए।

manivannan R

yo so basically hundiberg ka report tha hi scam tha? par kingdon capital ke saath mil ke short kiya toh ye bhi scam hi hai na?
par phir bhi adani group ki corporate structure kaafi shady lagti hai, kuch toh hai na?
sebi ko thoda zyada transparency chahiye, bas ghar ki baat karte raho toh log bharose se bahar ho jayenge.

Uday Rau

दोस्तों, ये सब बहसें तो बहुत चल रही हैं, पर एक बात स्पष्ट है-हम भारतीय निवेशक अपने पैसे के लिए अपनी आँखें खोलकर रखना चाहिए।
हिन्डनबर्ग के आरोप अगर झूठे हैं, तो भी इस बात का इंतजार हो रहा है कि अदानी समूह कितना अपारदर्शी है।
कभी-कभी एक झूठी आँख भी एक सच्ची बात दिखा देती है।
हमें बाजार की गंदगी को ढकने की बजाय, उसे साफ करने की कोशिश करनी चाहिए।
सेबी को अब बस राजनीति नहीं, बल्कि नियमों का अनुपालन करना है।
ये सिर्फ एक कंपनी का मामला नहीं, ये हमारे बाजार की इज्ज़त का मामला है।
हम चाहते हैं कि एक छोटा निवेशक भी अपने पैसे को सुरक्षित महसूस करे।
अगर हम इस बात को भूल गए, तो अगली बार कोई और विदेशी कंपनी आएगी, और ये सब फिर से शुरू हो जाएगा।
हमें अपने बाजार की जिम्मेदारी स्वीकार करनी होगी।
कोई भी बड़ा नाम या बड़ा नेता इसे नहीं बचा सकता।
सच्चाई का अपना रास्ता होता है, और वो रास्ता साफ़-सुथरा होना चाहिए।
हमें उस रास्ते पर चलना होगा, चाहे वो कितना भी कठिन क्यों न हो।
ये सिर्फ एक शेयर नहीं, ये हमारा भविष्य है।

sonu verma

मुझे लगता है कि सब कुछ सुनना चाहिए, फिर निर्णय लेना चाहिए। बस इतना ही।

Siddharth Varma

so hundiberg ka report tha hi fake? but then why did adani stocks crash?
and why is sebi taking so long?
someone explain in simple terms pls

chayan segupta

ये सब बहसें बंद करो! अपने पैसे को बचाओ, अपने निवेश को समझो, और बाजार के बारे में अपना खुद का राय बनाओ।
कोई भी रिपोर्ट या नोटिस तुम्हारी जिम्मेदारी नहीं लेगा।
सिर्फ तुम अपने भविष्य के लिए जिम्मेदार हो।
चलो, अब बाजार देखो, और अपने निर्णय लो।

King Singh

मैंने इस बात को लंबे समय से सोचा है।
हिन्डनबर्ग की रिपोर्ट में कुछ बातें तो सही लगीं।
लेकिन अगर वो शॉर्ट सेलिंग के लिए ऐसा कर रहे हैं, तो उनका मकसद साफ है।
अदानी समूह की बात करें, तो उनके पास बहुत सारे प्रश्न हैं।
सेबी को अब जल्दी से जवाब देना चाहिए।
नहीं तो छोटे निवेशक भरोसा खो देंगे।
हमें सिर्फ बड़े नाम नहीं, बल्कि सच्चाई चाहिए।
ये बाजार हमारा है, इसे सुधारना हमारी जिम्मेदारी है।

Uday Rau

मैं उस छोटे निवेशक की बात से पूरी तरह सहमत हूँ।
हम सब जानते हैं कि बाजार में जो बड़े लोग हैं, वो अक्सर नियमों को बदल देते हैं।
लेकिन अगर हम अपने छोटे निवेशकों को भी सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो हमें अपने दिल की आवाज़ सुननी होगी।
सेबी को अब बस रिपोर्ट देनी है, न कि बहस करनी।
हम उनकी जांच की तारीख और विधि की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
ये सिर्फ एक कंपनी का मामला नहीं, ये हमारे भारत के निवेशकों की विश्वासयोग्यता का मामला है।
अगर हम इसे ठीक कर लें, तो दुनिया भर के निवेशक हमारे बाजार में आएंगे।
अगर नहीं, तो हम अपने ही घर में अकेले रह जाएंगे।