किसान अधिकार

जब हम किसान अधिकार, भारत में खेती करने वाले लोगों के सामाजिक, आर्थिक और कानूनी हक़. Also known as किसान हक़, it guarantees भूमि, पानी और बाजार तक पहुँच, और सरकार की नीतियों के तहत सुरक्षा. ये अधिकार सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि दैनिक जीवन में जमीन‑बाजार विवाद, सरकारी सब्सिडी, और फसल बीमा जैसे मुद्दों में सीधे असर डालते हैं।

एक और महत्वपूर्ण घटक है भू-अधिकार, किसानों को अपनी ज़मीनी संपत्ति पर कानूनी नियंत्रण. यह अधिकार किसान अधिकार का मूल स्तम्भ है क्योंकि जब जमीन सुरक्षित नहीं होगी तो फसल उगाने का अधिकार भी कमजोर पड़ता है। हाल ही में राजस्थान के कृषि विश्वविद्यालयों में वीसी हटाने की खबर ने इस बात को उजागर किया कि प्रशासनिक बदलाव कैसे कृषि शिक्षा और भूमि उपयोग नीति को प्रभावित कर सकते हैं।

कृषि नीति और सरकारी योजनाओं का रोल

किसान अधिकारों को सुदृढ़ करने में कृषि नीति, सर्वभौमिक फसल समर्थन, बाजार सुधार और तकनीकी सहायता पर केंद्रित योजनाएँ. इस नीति का लक्ष्य किसानों की आय बढ़ाना और नुकसान कम करना है। उदाहरण के तौर पर, माझी लाडकी भईण योजना के तहत ई‑केवाईसी अनिवार्य किया गया, जिससे लाभार्थियों की पहचान सटीक हुई और धोखाधड़ी कम हुई। इसी तरह, टाटा कैपिटल IPO या अडानी पावर शेयर स्प्लिट जैसी वित्तीय ख़बरें सीधे निवेशकों और बड़े किसान लघु‑उद्योगियों को प्रभावित करती हैं।

जब चर्चा किसान आंदोलन की आती है, तो हम देखते हैं कि कैसे किसान आंदोलन नीति बदलाव को दबाव देता है। 2025 में बिहार में हाई अलर्ट और राजस्थान में कृषि विश्वविद्यालय की उलटफेर जैसी घटनाएँ दर्शाती हैं कि राजनीति, सुरक्षा और कृषि आपस में जड़े हुए हैं। इन घटनाओं से पता चलता है कि किसान अधिकार सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सुरक्षा के पहलू भी शामिल करते हैं।

इन सभी तत्वों को जोड़ते हुए, इस पेज पर आप पाएंगे अनुभवी पत्रकारों, नीति विश्लेषकों और मैदान के किसानों की राय। नीचे की सूची में ऐसे लेख हैं जो आपको जमीन‑भुगतान, सब्सिडी, जल अधिकार, फसल बीमा, और सरकारी योजना की नवीनतम जानकारी देंगे। इस जानकारी से आप अपने अधिकारों को समझ सकते हैं और जरूरत पड़ने पर सही कदम उठा सकते हैं। आगे की सूची में पढ़ते रहिए, क्योंकि हर लेख आपके किसान अधिकारों को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है।

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